जेएनसीएएसआर के वैज्ञानिकों ने मधुमेह रोगियों में इंसुलिन के निरंतर वितरण के लिए इंजेक्शन देने लायक सिल्क फाइब्रोइन-आधारित हाइड्रोजेल विकसित किया

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में मधुमेह रोगियों में इंसुलिन वितरण के लिए इंजेक्शन देने लायक सिल्क फ़ाइब्रोइन-आधारित हाइड्रोजेल विकसित किया है। इस आविष्कार के लिए एक पेटेंट आवेदन भी दाखिल किया गया है। प्रो टी गोविंदराजू और जेएनसीएएसआर की उनके अनुसंधान टीम ने जैव फ़ाइबोमोटोपेबल एडिटिव्स का उपयोग करके सिल्क फाइब्रोइन (एसएफ) सूत्र विकसित किया है और एक ऐसा इंजेक्शन एसएफ हाइड्रोजेल (आईएसएफएच) तैयार किया है जो मधुमेह के रोगियों में…

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भोपाल की डीएसटी इंस्पायर फैकल्टी ने हल्का कार्बन फोम बनाया है जो लेड बैटरी की जगह ले सकता है

RAJIV

यह कार्बन फोम दूषित जल से आर्सेनिक, तेल और अन्य धातु को अलग करने में किफायती भी होगा | यह कार्बन फोम गैर-विषाक्त, बनाने में आसान, सस्ता और जल में अघुलनशील है भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा गठित इंस्पायरफैकल्टी अवार्ड प्राप्त सीएसआईआर- एडवांस्ड मटीरियल्स एंड प्रोसेसेसरिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ. राजीव कुमार छिद्रयुक्त कार्बन सामग्री बना रहेहैं जो लेड एसिड बैटरी में लेड-ग्रिड की जगह ले सकता है। यह ऊर्जाइलेक्ट्रॉनिक्स में हीट सिंक्स, एयरोस्पेस में इलेक्ट्रोमैग्नेटिकइंटरफेरेंस शिल्डिंग, हाइड्रोजन भंडारण और लेड एसिड बैटरी एवं जल शुद्धिकरणप्रणाली के लिए इलेक्ट्रोड के रुप…

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एक दिन में 4 ट्रेनों से शुरू करके अब रोजाना 145 ट्रेनें, भारतीय रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए अपने मिशन ‘’घर वापसी’’ को गति दी

gher vapisi mission

फंसे हुए लोगों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाने के प्रयासों के तहत एक दिन में 2 लाख से ज्यादा प्रवासियों को उनके गंतव्य पर पहुंचाकर मील का पत्थर पार किया | पहली मई से लगभग 5000 यात्रियों से शुरू करके 14 मई को 2.10 लाख से ज्यादा यात्रियों तक, 2 हफ्तों से भी कम समय में इस मील के पत्थर तक पहुंचा भारतीय रेलवे | अब तक इन “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनों से 12 लाख से अधिक यात्री अपने गृह राज्यों में पहुंच चुके हैं प्रवासियों को घर पहुंचाने के…

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प्रौद्योगिकी केंद्र अब रियल टाइम गुणात्मक माइक्रो पीसीआर प्रणाली के महत्वपूर्ण हिस्सों का विनिर्माण कर रहे हैं

prodyogiki

एमएसएमई मंत्रालय के भुवनेश्वर, जमशेदपुर एवं कोलकाता स्थित प्रौद्योगिकी केंद्र अब एएमटीजेड, विशाखापट्टनम के लिए रियल टाइम गुणात्मक माइक्रो पीसीआर प्रणाली के महत्वपूर्ण हिस्सों का विनिर्माण कर रहे हैं।  यह मशीन एक घंटे से भी कम समय (सामान्य जांच परिणाम न्यूनतम 24 घंटे लेता है) में कोविड-19 जांच परिणाम दे सकती है और इसकी डिजाइन एक निजी एमएसएमई उपक्रम द्वारा तैयार की गई है। ये मशीनें सुसम्बद्ध हैं और कहीं भी, किसी भी वक्त, रियल टाइम में जांच के लिए ले जाई जा सकती हैं। प्रौद्योगिकी केंद्रों की टीमें 600…

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