प्रधानमंत्री आयुषमान भारत स्‍वास्‍थ्‍य बुनियादी ढांचा मिशन से देशभर में स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सेवाओं को प्रोत्‍साहन मिलेगा: मनसुख मांडविया

प्रधानमंत्री आयुषमान भारत स्‍वास्‍थ्‍य बुनियादी ढांचा मिशन से देशभर में स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सेवाओं को प्रोत्‍साहन मिलेगा: मनसुख मांडविया

स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने आज कहा कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन से भविष्य में वैश्विक महामारी जैसी स्थिति से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने देश में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार का अवसर दिया है और सरकार ने 64 हजार करोड रूपये के निवेश के साथ् प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन शुरू किया है। उन्होंने कहा कि कैंसर और मधुमेह जैसे रोगों के इलाज तथा प्राथमिक स्तर पर उपचार के लिए सरकार ने डेढ लाख स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र स्थापित करने का फैसला लिया। देश में ऐसे लगभग 79 हजार केन्द्र शुरू हो गए र्हैं।

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के अन्तर्गत उपचार से लेकर महत्वपूर्ण अनुसंधानों तक की सेवाओं के लिए देश के हर कोने में तंत्र बनाया जायेगा। इसका उद्देश्य अगले चार से पांच वर्ष में गांवों, ब्लॉकों, जिलों, क्षेत्रों तथा राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर रोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल तंत्र को मजबूत करना है। योजना के तहत गांवों और शहरों में स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र खोले जायेंगे जहां बीमारियों की जांच की सुविधाएं होंगी। इन केन्द्रों पर मुफ्त चिकित्सा, परामर्श, मुफ्त जांच, मुफ्त दवा जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। गंभीर बीमारी के लिए छह सौ जिलों में 35 हजार नये बिस्तर जोडे जा रहे हैं तथा एक सौ 25 जिलों में रेफरल सुविधाएं दी जायेंगी। इस योजना का दूसरा पहलू बीमारियों का पता लगाने के लिए जांच तंत्र से संबंधित है। मिशन के अन्तर्गत बीमारियों की जांच और निगरानी के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा विकसित किया जाएगा। देश के सात सौ तीस जिलों में एकीकृत जनस्वास्थ्य प्रयोगशालाएं तथा तीन हजार ब्लॉकों में खंड जन स्वास्थ्य इकाइयां होंगी। इसके अतिरिक्त पांच क्षेत्रीय राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र, बीस मेट्रोपॉलिटन इकाइयां और 15 बीएसएल प्रयोगशालाएं होंगी।

योजना का तीसरा पहलू वैश्विक महामारियों का अध्ययन करने वाले संस्थानों का विस्तार करने से संबंधित है। मौजूदा अस्सी विषाणु जांच और अनुसंधान प्रयोगशालाओं को सुदृढ किया जायेगा, 15 जैव सुरक्षा स्तर की प्रयोगशालाओं को चालू किया जाएगा और चार नये राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान स्थापित किए जायेंगे। दक्षिण एशिया के लिए विश्व स्थ्वास्थ्य संगठन क्षेत्रीय अनुसंधान प्लेटफार्म भी इस तंत्र को मजबूती प्रदान करेगा। संवाददाताओं के एक प्रश्न के उत्तर में मनसुख मांडविया ने कहा कि एक दल कोविड-19 के नये स्वरूप एवाई.4.2 जांच कर रहा है। आईसीएमआर और एनसीडीसी की टीमें विभिन्न स्वरूपों का अध्ययन और विश्लेषण करती है।

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