मिशन मौसम का अनावरण: वर्ष 2026 तक भारत के मौसम और जलवायु पूर्वानुमान को उन्नत करने के लिए दो हजार करोड़ की पहल

मिशन मौसम का अनावरण: वर्ष 2026 तक भारत के मौसम और जलवायु पूर्वानुमान को उन्नत करने के लिए दो हजार करोड़ की पहल

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने मिशन मौसम पर नई दिल्ली स्थित पृथ्वी भवन में राष्ट्रीय स्तर की एक मीडिया वार्तालाप का आयोजन किया।

पृथ्वी विज्ञान सचिव डॉ. एम रविचद्रंन ने भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) के प्रमुख डॉ. वी एस प्रसाद के साथ मीडिया को संबोधित किया।

केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 11 सितंबर 2024 को दो वर्ष की अवधि के लिए दो हजार करोड़ के बजटीय आवंटन के साथ केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पहल को अनुमति दी। इसका लक्ष्य भारत को “मौसम के लिए तैयार” और “जलवायु स्मार्ट” बनाना है। इस मिशन का उद्देश्य देश में मौसम और जलवायु निगरानी, मेधा, प्रतिमान और भविष्यवाणी में वृद्धि कर बेहतर, अधिक उपयोगी, अचूक और समय से सेवा प्रदान करना है।

मिशन मौसम पर नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में डॉ. एम रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (केंद्र में), डीजी, आईएमडी (बायें) तथा एनसीएमआरडब्ल्यूएफ (दाएं) मीडिया को संबोधित करते हुए और पत्रकार सम्मेलन सत्र की झलकियां

मिशन मौसम का लक्ष्य भारत को “मौसम के लिए तैयार” और “जलवायु स्मार्ट देश” बनाना है जिससे जलवायु परिवर्तन और मौसम संबंधी घटनाओं के तीव्र प्रभावों से बचाया जा सके और समुदायों के लचीलेपन को सशक्त बनाया जा सके। वर्तमान में मिशन मौसम का कार्यान्वयन वर्ष 2024-2026 के मध्य किया जाएगा।

मिशन मौसम के प्रस्तावित उद्देश्यों में सम्मिलित हैं :

अत्याधुनिक मौसम निगरानी प्रौद्योगिकी और प्रणालियों का विकास

बेहतर अस्थायी और स्थानिक सैंपलिंग/कवरेज़ द्वारा उच्च श्रेणी के वातावरणीय निगरानी का कार्यान्वयन

उन्नत यांत्रिक पेलोड सहित अत्याधुनिक रडार और उपग्रहो का कार्यान्वयन

उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूटर(एचपीसी) का कार्यान्वयन

मौसम और जलवायु प्रक्रियाओं तथा पूर्वानुमान क्षमताओं के तालमेल में सुधार

उन्नत पृथ्वी प्रणाली मॉडल तथा डेटा युक्त प्रणालियों(एआई/एमएल का प्रयोग) को विकसित करना

मौसम प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास

अंतिम छोर तक संपर्कता के लिए अत्याधुनिक प्रसार प्रणाली का विकास

क्षमता निर्माण

मिशन का लक्ष्य 50 डॉप्लर मौसम रडार(डीडब्ल्यूआर), 60 रेडियो सोंडे/रेडियो विंड(आरएस आरडब्ल्यू) स्टेशन, 100 डिस्ड्रोमीटर,10 विंड प्रोफाईलर, एक शहरी टेस्ट बेड, एक प्रक्रिया टेस्ट बेड, एक महासागर अनुसंधान स्टेशन और ऊपरी वायु निगरानी के साथ 10 समुद्रीय स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित करना है।

पृथ्वीविज्ञान मंत्रालय के सचिव के अनुसार मिशन मौसम आकाशीय और सामयिक स्तर पर पूर्वानुमान तथा वायु गुणवत्ता आंकडों को उन्नत करने तथा लंबी अवधि में मौसम प्रबंधन को रणनीतिक बनाने में सहायता करेंगे। मार्च 2026 तक हम बेहतर निगरानी के लिए रडार, हवा प्रोफाईलर और रेडियोमीटर के बड़े नेटवर्क की स्थापना करेंगे। हम भौतिक प्रक्रिया और मौसम पूर्वानुमान के विज्ञान की बेहतर समझ की आशा कर रहे हैं। निगरानी की बेहतर प्रणाली के साथ आंकड़ो के प्रबंधन में उन्नति होगी। पूर्वानुमान को बेहतर करने के लिए हम फ्यूज भौतिकी आधारित आंकिक मॉडल और डेटा पर आधारित एआई/एमएल का प्रयोग करेंगे। डा. रविचंद्रन ने कहा कि हम पर्यावरणीय विज्ञान में अधिक नवाचार, आरएंडडी और उन्नतिकरण के साक्षी बनेंगे।

नागरिकों ओर हितधारकों को लाभ पहुचाने के लिए आंकड़ों को प्रसार तथा सेवाओं और क्षमता निर्माण का विस्तार किया जाएगा। देश में कोई भी मौसम प्रणाली जांचविहीन नहीं रहेगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय मौसम, जलवायु तथा प्राकृतिक संकट के लिए उन्नत सेवाएं प्रदान करेगा जिससे विभिन्न क्षेत्रों को आर्थिक और सामाजिक लाभ का हस्तांतरण सुनिश्चित किया जा सके।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तीन संस्थान: भारत मौसम विज्ञान विभाग, एनसीएमआरडब्ल्यूए और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान मुख्य रूप से मिशन मौसम को लागू करेंगे। इन संस्थानों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, शिक्षाविदों एवं उद्योगों के सहयोग के साथ-साथ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्य संस्थानों (भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान) द्वारा सहयोग किया जाएगा, जिससे मौसम और जलवायु विज्ञान तथा सेवाओं में भारत के नेतृत्व में वृद्धि की जा सकेगी।

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