मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चन्द्रा ने कहा है कि किसी राष्ट्र का इतिहास और उसका भविष्य तीन बातें तय करती हैं- सिद्धांत, संसद और देश की प्रजा। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में सिद्धांत और मूलभूत मूल्य स्पष्ट कर दिए गए हैं। उन्होंने यह बात नई दिल्ली में आयोजित संसद रत्न पुरस्कार 2022 समारोह के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता की इच्छा सर्वोपरि और सबसे प्रभावशाली है। लोगों का विश्वास संसद में निहित है और संसद जनता की इच्छा की ही अभिव्यक्ति है। अपने भाषण में श्री चंद्रा ने संसद, लोक कल्याण और एक अच्छी विधायिका के महत्व की भी व्याख्या की।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि विश्व के विशालतम लोकतंत्र की संसद पूरी दुनिया के लिए आदर्श होनी चाहिए और इसे अन्य देशों के अनुकरणीय उदाहरण भी समाहित करने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अच्छी विधायिका समावेशी होती है। आदर्श विधायिका वह है जो नागरिकों की इच्छा, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं का सम्मान करे।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र किसी देश की जनता, उसके सपनों, उसकी आकांक्षाओं और उसकी अपेक्षाओं पर टिका होता है। उनका यह भी कहना था कि सच्चे अर्थों में प्रतिनिधि संसद मुक्त, निष्पक्ष और समावेशी चुनावों के नियिमत आयोजन से ही प्राप्त होती है। चुनाव आयोग की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा यह सतत प्रयास रहता है कि मतदाता जागरूक हों, ताकि संसद और विधानसभा से ऐसे सर्वोत्तम उम्मीदवार चुनकर आएं जो उनका प्रतिनिधित्व कर सकें। संसद रत्न पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किए गए।
2022 के लिए डॉक्टर ऐ.पी.जे. अब्दुल कलाम आजीवन उपलब्धि पुरस्कार कांग्रेस के डॉक्टर एम वीरप्पा मोइली और तमिलनाडु के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर एच.वी. हांडे को दिया गया। संसद विशिष्ट रत्न पुरस्कार आर.एस.पी. सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन और शिवसेना के श्रीरंग अप्पा बर्ने को दिया गया, जबकि भारतीय जनता पार्टी के सांसद बिद्युत बरन महतो और डॉक्टर हिना विजयकुमार गावित तथा कांग्रेस सांसद कुलदीप राय शर्मा और अन्य को संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।