दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की जाने वाली गैर-मानक दवाओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो-सीबीआई से जांच की सिफारिश की है।
मुख्य सचिव को लिखे एक नोट में उपराज्यपाल सक्सेना ने कहा कि यह चिंताजनक है कि निजी और सरकारी प्रयोगशालाओं में परीक्षण की गई ये दवाएं मानक गुणवत्ता की नहीं थीं। उन्होंने कहा कि ये दवाएं दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लाखों मरीजों को दी जा रही हैं और संभवता इनकी आपूर्ति मोहल्ला क्लीनिकों में भी की जा रही है।
घटिया दवाओं के मामले पर सतर्कता निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी प्रयोगशालाओं को भेजे गए 43 नमूनों में से तीन गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे, जबकि 12 रिपोर्ट अभी लंबित हैं। निजी प्रयोगशालाओं को भेजे गए अन्य 43 नमूनों में से पांच नमूने गुणवत्ता मानकों का पालन करने में विफल रहे और केवल 38 नमूने मानक गुणवत्ता के पाए गए।
इस बीच, दिल्ली भाजपा ने दिल्ली में केजरीवाल सरकार की आलोचना करते हुए सरकारी अस्पतालों में गैर-मानक दवाओं की आपूर्ति के मुद्दे पर मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की। नई दिल्ली में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार में लिप्त होकर दिल्ली के लोगों को धोखा दिया है। प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी केजरीवाल की आलोचना की और कहा कि आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने के लिए भाजपा पूरी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करेगी। श्री सचदेवा ने केजरीवाल के इस्तीफे की भी मांग की और कहा कि यह भ्रष्टाचार का मामला नहीं है बल्कि वे लोगों की जान से खेल रहे हैं।