MoSPI ने राष्ट्रीय, राज्य, ईएसजी और सीएसआर संकेतकों को एकीकृत करते हुए एक व्यापक सतत विकास लक्ष्य रूपरेखा को विकसित करने हेतु IICA के साथ समझौता किया

MoSPI ने राष्ट्रीय, राज्य, ईएसजी और सीएसआर संकेतकों को एकीकृत करते हुए एक व्यापक सतत विकास लक्ष्य रूपरेखा को विकसित करने हेतु IICA के साथ समझौता किया

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने 31 अक्टूबर 2025 को कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान भारतीय कॉर्पोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इसका उद्देश्य विकसित भारत के विजन को प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय, राज्य, ईएसजी और सीएसआर संकेतकों को एकीकृत करते हुए एक व्यापक सतत विकास लक्ष्य रूपरेखा को विकसित करना है।

आईआईसीए में इस सहयोग की परिकल्पना आईआईसीए के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्ञानेश्वर कुमार सिंह के नेतृत्व में की गई है। उन्होंने ईएसजी, सीएसआर और उत्तरदायी व्यावसायिक आचरण के क्षेत्रों में आईआईसीए की रणनीतिक पहलों को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसे देश के राष्ट्रीय विकास एजेंडे के साथ एकीकृत किया है। हस्ताक्षर समारोह में किशोर बाबूराव सुरवाड़े, अतिरिक्त महानिदेशक, क्षमता विकास प्रभाग, एम ओ एस पी आई; डॉ. गरिमा दाधीच, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख, स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंटआईआईसीए; रुचिका गुप्ता, उप महानिदेशक, सामाजिक सांख्यिकी प्रभाग, एम ओ एस पी आई; शिवनाथ सिंह जादावत, निदेशक, प्रशिक्षण इकाई, क्षमता विकास प्रभाग, एम ओ एस पी आई; डॉ. जियाउल हक, निदेशक, सामाजिक सांख्यिकी प्रभाग, एम ओ एस पी आई, और एम ओ एस पी आई और आईआईसीए के अन्य सदस्य उपस्थित थे।

राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा (एनआईएफ) सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में देश की प्रगति की निगरानी के लिए आधारशिला का काम करता है। यह सहयोगात्मक प्रयास का आधार बनेगा। एनआईएफ के आधार पर यह पहल एक ऐसा रूपरेखा विकसित करेगी जो राज्य-स्तरीय संकेतकों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ ईएसजी और सीएसआर आयामों को एकीकृत करेगा। यह समन्वित दृष्टिकोण राष्ट्रीय, राज्य और कॉर्पोरेट स्थिरता रूपरेखा को जोड़ेगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि व्यवसायों की सीएसआर और ईएसजी पहल राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के एसडीजी उद्देश्यों के साथ प्रभावी रूप से एक साथ हों। एनआईएफ-एसआईएफ का यह संयोजन साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण को मज़बूत करेगा, स्थायी कॉर्पोरेट भागीदारी को बढ़ावा देगा और सुसंगत तथा समावेशी एसडीजी निगरानी और कार्यान्वयन के माध्यम से सरकार के विकसित भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा।

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