जी-20 शिखर सम्‍मेलन में पीएम मोदी ने यूक्रेन संकट से निपटने के लिए संघर्षविराम और कूटनीति के रास्‍ते पर चलने का आह्वान किया

जी-20 शिखर सम्‍मेलन में पीएम मोदी ने यूक्रेन संकट से निपटने के लिए संघर्षविराम और कूटनीति के रास्‍ते पर चलने का आह्वान किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने यूक्रेन संकट के समाधान के लिए संघर्ष विराम और कूटनीतिक रास्‍ता अपनाने का आह्वान किया है। उन्‍होंने कहा कि विश्‍व में शांति, सौहार्द्र और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक प्रतिबद्धता की आवश्‍यकता है। हमारे संवाददाता ने बताया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इंडोनेशिया के बाली में खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर जी-20 के प्रथम कामकाजी सत्र में यह बात कही।

विश्‍व की प्रमुख अर्थव्‍यवस्‍थाओं के इस मंच पर प्रधानमंत्री ने भारत की ऊर्जा-सुरक्षा को वैश्विक विकास के लिए जरूरी बताया। ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी भी तरह के प्रतिबंध को बढ़ावा देने के कदमों को गैर-जरूरी बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित करने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी रूसी तेल और गैस की खरीद के खिलाफ पश्चिमी देशों के आह्वान की पृष्ठभूमि में काफी महत्‍वपूर्ण मानी जा रही है। जी-20 सत्र की शुरूआत से पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए विश्व के कई नेताओं के साथ संक्षिप्त चर्चा भी की। शिखर सम्‍मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का कई विश्‍व नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता का भी कार्यक्रम है।

दूसरे विश्‍व युद्ध की भयावहता को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शांति के मार्ग पर चलने के लिए उस समय नेताओं ने गंभीर प्रयास किए थे और अब हमारी बारी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी, यूक्रेन के घटनाक्रम और उससे संबंधित वैश्विक समस्‍याएं विश्‍व में तबाही का कारण बनी हैं। उन्‍होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद की अवधि के लिए नई विश्‍व व्‍यवस्‍था बनाना हम सबकी जिम्‍मेदारी है।

अगले वर्ष भारत की जी-20 अध्‍यक्षता के बारे में प्रधानमंत्री ने विश्‍वास प्रकट किया कि जब महात्‍मा बुद्ध और गांधी की भूमि पर जी-20 की बैठक होगी तो यह सभी के लिए विश्‍व को शांति का स्‍पष्‍ट संदेश देने का अवसर होगा। कोविड-19 के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने कोविड महामारी के दौरान अपने एक अरब तीस करोड़ नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की और कई जरूरतमंद देशों को अनाज की आपूर्ति भी की।

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