रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स में शामिल देशों के संस्कृति मंत्रियों की 9वीं बैठक में भारत के संस्कृति मंत्रालय में सचिव अरुणीश चावला ने वैश्विक विकास रणनीतियों के केंद्र में संस्कृति को रखने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि इसे सशक्तिकरण, समावेशन और आपसी समझ के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।
अपने बयान में सचिव अरुणीश चावला ने सतत विकास और वैश्विक सहयोग के लिए संस्कृति की शक्ति का उपयोग करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सांस्कृतिक रचनात्मकता, वाणिज्य और सहयोग के बीच तालमेल के दृष्टिकोण के अनुरूप है ताकि एक समान, टिकाऊ और समावेशी दुनिया का निर्माण किया जा सके।
वर्ष 2023 में भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 में भारत के रुख को जारी रखते हुए, भारत ने 2030 के बाद के वैश्विक विकास एजेंडे में संस्कृति को एक स्वतंत्र लक्ष्य के रूप में मान्यता देने की वकालत की, जिसमें आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और सतत विकास को आगे बढ़ाने में इसकी परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला गया। यह भारत के अपने सांस्कृतिक पुनर्जागरण प्रयासों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देते हुए अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखना और बढ़ावा देना है।
भारत ने रचनात्मक उद्योगों, नवाचार और रोजगार सृजन के महत्व पर भी जोर दिया। साथ ही, भारत ने ब्रिक्स में शामिल देशों को आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए अपनी सामूहिक सांस्कृतिक शक्तियों का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत के सांस्कृतिक सहयोग एजेंडे के लिए लोगों के बीच आदान-प्रदान, जमीनी स्तर पर सांस्कृतिक कूटनीति और शिक्षा को बढ़ावा देने को भी प्रमुख क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया गया।
ब्रिक्स देशों के संस्कृति मंत्रियों की बैठक और अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त संस्कृति मंच के लिए 4 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरुणीश चावला ने किया। इस प्रतिनिधिमंडल में संयुक्त सचिव लिली पांडेय, निदेशक यशवीर सिंह और संस्कृति मंत्रालय के उप सचिव शाह फैसल शामिल थे।
संस्कृति को प्राथमिकता देकर, भारत का लक्ष्य वैश्विक चुनौतियों के प्रति ब्रिक्स देशों की सामूहिक प्रतिक्रिया को मजबूत करना, आपसी समझ तथा सम्मान को बढ़ावा देना और एक अधिक समावेशी तथा सांस्कृतिक रूप से सजग वैश्विक समुदाय बनाना है। यह दृष्टिकोण सहयोग और आपसी समर्थन की ब्रिक्स देशों की भावना के अनुरूप है और सांस्कृतिक कूटनीति में भारत के नेतृत्व से आने वाले वर्षों में इस संगठन के सांस्कृतिक एजेंडे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।