इंडिया एआई इंडीपेंडेंट बिजनेस डिवीजन (आईबीडी) ने इंडिया एआई इनोवेशन चैलेंज की घोषणा की

इंडिया एआई इंडीपेंडेंट बिजनेस डिवीजन (आईबीडी) ने इंडिया एआई इनोवेशन चैलेंज की घोषणा की

इंडिया एआई इंडीपेंडेंट बिजनेस डिवीजन (आईबीडी) ने इंडिया एआई इनोवेशन चैलेंज की घोषणा की है। यह चुनौती इंडिया एआई मिशन के भीतर अनुप्रयोगों के विकास की पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एआई अनुप्रयोगों के विकास, अनुपालन और अपनाने को आगे बढ़ाना है। इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को सक्षम करने के लिए प्रभावशाली एआई समाधानों के स्केलिंग और अपनाने को बढ़ावा देना है। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2024 है।

इंडिया एआई इनोवेशन चैलेंज

इनोवेशन चैलेंज भारतीय नवोन्मेषकों, स्टार्टअप्स, गैर-लाभकारी संगठनों, छात्रों, शैक्षणिक/आर एंड डी संगठनों और कंपनियों के लिए खुला है। विजेताओं को पुरस्कार के रूप में एक करोड़ रुपये तक और राष्ट्रीय स्तर पर अपने समाधानों को लागू करने का अवसर मिलेगा।
इनोवेशन चैलेंज के लिए निम्नलिखित फोकस क्षेत्रों की पहचान की गई है, साथ ही उपयोग किए जाने वाले मामलों का भी संकेत दिया गया है।:

स्वास्थ्य सेवा: एआई-संवर्धित एक्स-रे का उपयोग करके निदान और रोगियों की देखभाल को बढ़ाना,  रोग का प्रारंभिक स्तर पर पता लगाना, नेत्र विज्ञान के परिणामों को मजबूत करना और वेक्टर-जनित रोगों की निगरानी करना।

बेहतर प्रशासन: बेहतर सार्वजनिक सेवा तक पहुंच और शिकायत निवारण के लिए एआई-संचालित भाषा प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।

कृषि: किसानों को एआई सहायक फसल संबंधी सलाहकार सेवाओं, वित्तीय समावेशन और खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए भू-स्थानिक विश्लेषण के उपयोग के जरिए सशक्त बनाना।

सीखने की अक्षमताओं के लिए सहायक तकनीक: सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं का जल्दी पता लगाना और सहयोग करना, उन्नत मल्टीमीडिया तक पहुंच वाले उपकरणों के बारे में और गेमिफाइड सीखना।

जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन: एआई-संचालित प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ और बहु-खतरे की संवेदनशीलता की मैपिंग

इंडिया एआई, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन (डीआईसी) के तहत एक आईबीडी, इंडिया एआई मिशन की कार्यान्वयन एजेंसी है, जिसका उद्देश्य समाज के सभी तबकों में एआई के लाभों को समान रूप से पहुंचाना,  एआई में भारत के वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करना, तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और एआई  के नैतिक और जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करना है।

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