केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों और संबंधित नगर निकायों की कार्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय बैठक की। यह समीक्षा बैठकों की श्रृंखला में चौथी बैठक थी, जो 3 दिसंबर, 2025 को आयोजित पिछली बैठक में भूपेंद्र यादव के दिए गए निर्देशों के अनुसार निर्धारित प्रारूप में और निर्धारित मापदंडों के आधार पर आयोजित की गई। इस बैठक में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह भी उपस्थित थे।
भूपेंद्र यादव ने दिल्ली-एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता की लगातार बनी हुई समस्या पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अभी तैयार की जा रही कार्य योजनाओं की समीक्षा जनवरी 2026 से हर महीने मंत्री स्तर पर की जाएगी। राज्य सरकारों से कहा गया कि वे सभी एनसीआर शहरों की भविष्य में प्रस्तुत की जाने वाली कार्य योजनाओं को अपने अधिकार क्षेत्र में एकीकृत करें। भूपेंद्र यादव ने आश्वासन दिया कि कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं को उच्च स्तरीय अंतर-राज्यीय समन्वय बैठकों के माध्यम से दूर किया जाएगा।
भूपेंद्र यादव ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकारों और नगर निकायों के किए गए उपायों पर अलग-अलग प्रस्तुतियों की समीक्षा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन कार्रवाइयों की गति को तब तक बनाए रखना आवश्यक है जब तक कि पूरे एनसीआर में वायु गुणवत्ता में स्पष्ट सुधार न हो जाए। उन्होंने यह भी साफ किया कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन आम जनता को अनावश्यक असुविधा नहीं होनी चाहिए। चिन्हित मुद्दों को सुधारात्मक कार्रवाई के माध्यम से हल किया जाएगा, जिसकी समीक्षा 15 दिनों में की जाएगी।
दिल्ली-एनसीआर में भीड़भाड़ वाले चिन्हित 62 इलाकों में सुचारू यातायात प्रबंधन सुनिश्चित करने और कॉरपोरेट एवं औद्योगिक इकाइयों द्वारा कर्मचारियों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन/सीएनजी बसों को बढ़ावा देने के निर्देश जारी किए गए। व्यस्त समय में भीड़ कम करने के लिए कार्यालयों, शॉपिंग मॉल और वाणिज्यिक परिसरों के लिए अलग-अलग समय निर्धारित करने पर भी जोर दिया गया। अधिक यातायात वाले मार्गों पर संपूर्ण सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध कराने के लिए विशेष उपाय किए गए, साथ ही क्षेत्र में संचालित अवैध और प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने के सख्त निर्देश दिए गए। गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और नोएडा को एकीकृत स्मार्ट यातायात प्रबंधन प्रणाली (आईटीएमएस) के कार्यान्वयन में तेजी लाने का निर्देश दिया गया, जबकि यातायात पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि प्रवर्तन जांच स्वयं ही भीड़भाड़ का कारण न बने।
केंद्रीय मंत्री ने एनसीआर शहरों में मेट्रो की अंतिम-मील कनेक्टिविटी में सुधार के लिए डीएमआरसी और राज्य अधिकारियों के साथ समन्वित योजना पर जोर दिया। यातायात जाम का कारण बनने वाले अतिक्रमणों को 10 दिनों के भीतर हटाने, गड्ढों से मुक्त सड़कों के लिए वार्षिक रखरखाव अनुबंध सुनिश्चित करने और मानसून से सड़कों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए उचित जल निकासी व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए गए। प्रदूषण से संबंधित जन शिकायतों का समन्वित निवारण सीएक्यूएम की देखरेख में सुनिश्चित किया जाना था। इसके साथ ही हितधारकों की भागीदारी के लिए लक्षित सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों का आयोजन किया जाना था।
भूपेंद्र यादव ने एनसीआर में एक सप्ताह के भीतर वायु गुणवत्ता की स्थिति में स्पष्ट सुधार सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों को सड़कों पर जमा धूल और निर्माण एवं विध्वंस (सी एंड डी) कचरे को हटाने, जैव-द्रव जलाने पर रोक लगाने और उच्च प्रदूषण के दौरान निर्माण प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया। सड़कों की अच्छी साफ सफाई और धूल नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए जीपीएस ट्रैकिंग से लैस यांत्रिक सड़क सफाई मशीनों (एमआरएसएम) की जिम्मेदारी अलग-अलग अधिकारियों को सौंपी गई। उन्होंने जवाबदेही को मजबूत करने के लिए जन प्रतिनिधियों को शामिल करने की इच्छा व्यक्त की।
सीएक्यूएम को नगर निकायों को यह निर्देश जारी करने की सलाह दी गई थी कि वे विध्वंस गतिविधियों की अनुमति तभी दें जब 10 किलोमीटर के दायरे में निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट संग्रहण उपकेंद्र उपलब्ध हों। अक्टूबर-दिसंबर के दौरान निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध रहेगा। सीएक्यूएम से हितधारकों के साथ परामर्श के माध्यम से अभिनव निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन समाधानों के लिए स्टार्टअप और निजी क्षेत्र की भागीदारी की संभावना तलाशने को कहा गया था।
हरियाणा को निष्क्रिय फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों को बदलने, बिजली संयंत्रों, ईंट भट्टों और श्मशान घाटों में जलावन के रूप में धान के भूसे का उपयोग सुनिश्चित करने और केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता से पट्टीकरण संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया गया था। राजस्व उत्पन्न करने और पराली जलाने को हतोत्साहित करने के लिए संपीड़ित जैव गैस ( सीबीजी) और इथेनॉल संयंत्रों सहित विकेंद्रीकृत और स्थानीय समाधानों पर विचार किया जाना था।
दिल्ली-एनसीआर में अवैध रूप से टायर जलाने वाली इकाइयों और बिना अनुमति के प्रदूषण फैलाने वाले अन्य प्रतिष्ठानों को सील करने के विशेष निर्देश जारी किए गए। इसके अलावा, प्रदूषण फैलाने वाली सभी इकाइयों (विशेष रूप से हरियाणा स्थित इकाइयों) में ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएम) स्थापित करना सुनिश्चित करने और इसके अनुपालन के लिए 31 दिसंबर की समय सीमा को लागू करने का निर्देश दिया गया। केंद्रीय मंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि फरीदाबाद और गुरुग्राम द्वारा सोसायटी-वार ठोस अपशिष्ट संग्रह और बंधवारी के पुराने कचरे का संयुक्त निपटान एक साझा सुविधा में सुनिश्चित किया जाए।
केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली वन विभाग के समन्वय से एनडीएमसी क्षेत्र में वृक्षारोपण के अवसरों की तलाश करने का निर्देश दिया, जिसका लक्ष्य विश्व पर्यावरण दिवस 2026 तक 11 लाख पौधे लगाना है। एनएचएआई को बेहतर सेंसर और बेहतर स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) प्रणालियों के माध्यम से टोल प्लाजा पर भीड़भाड़ कम करने और प्रमुख यातायात वाली सड़कों के उचित रखरखाव को सुनिश्चित करने की सलाह दी गई।
इस बैठक में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन सचिव, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय और दिल्ली, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इसके अलावा, इस बैठक में डीएमआरसी के निदेशक और एमसीडी, एनडीएमसी, दिल्ली पुलिस, एनएचएआई और डीडीए के वरिष्ठ अधिकारियों सहित नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के नगर आयुक्त और जिलाधीक्षक मौजूद थे। इसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।