केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में, 16 सितंबर, 2025 को आयोजित पिछली बैठक के दौरान दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के संबंध में लिए गए निर्णयों के लिए भारत सरकार और एनसीटी दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों, प्राधिकरणों द्वारा की गई अनुपालन कार्रवाई की समीक्षा की। बैठक के दौरान पर्यावरण, वन और वन्यजीव, एनसीटी दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा उपस्थित थे।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम), नीति आयोग और दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न उपायों की प्रगति पर प्रस्तुति दी। भूपेंद्र यादव ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण नियंत्रण पहलों के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिला प्रशासन तथा सभी एजेंसियों और हितधारकों के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
भूपेंद्र यादव ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लाल श्रेणी और 17 श्रेणियों के प्रदूषणकारी उद्योगों में ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) की स्थापना की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने इन उद्योगों में समयबद्ध तरीके से ओसीईएमएस स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
भूपेंद्र यादव ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की पराली के प्रबंधन की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्होंने सीएक्यूएम को पेलेटीकरण संयंत्रों और ताप विद्युत संयंत्रों में पेलेट के भंडारण के लिए उपलब्ध स्थान की समीक्षा करने का निर्देश दिया। उन्होंने सीएक्यूएम को कस्टम हायरिंग केंद्रों में मशीनों के इस्तेमाल के संबंध में निर्देश जारी करने और सत्यापन में समन्वय स्थापित करने का भी निर्देश दिया।
भूपेंद्र यादव ने सीएक्यूएम को निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट के कारगर इस्तेमाल हेतु दिल्ली सरकार के साथ एक बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वायु गुणवत्ता सूचकांक के प्रसार हेतु समीर ऐप एकमात्र ऑनलाइन ऐप होगा। उन्होंने सीएक्यूएम को सभी एजेंसियों को समीर ऐप का अनुसरण करने के निर्देश देने को कहा। उन्होंने दिल्ली सरकार से दिल्ली में गड्ढों की मरम्मत के लिए विशिष्ट कार्य योजना प्रस्तुत करने का भी अनुरोध किया।
बैठक में आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, नीति आयोग, सीएक्यूएम, सीपीसीबी, दिल्ली सरकार, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य संबंधित एजेंसियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भागीदारी की।