मत्स्य पालन विभाग को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 2584.50 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जो मत्स्य पालन विभाग के लिए अब तक का सबसे अधिक वार्षिक आवंटन है। बजटीय आवंटन चालू वित्तीय वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। आवंटित बजट विभाग के लिए अब तक की सबसे अधिक वार्षिक बजटीय सहायता में से एक है।
पहली पंचवर्षीय योजना से 2013-14 तक मत्स्य पालन क्षेत्र पर केवल 3680.93 करोड़ रुपये व्यय किए गए हालांकि, 2014-15 से 2023-24 तक देश में विभिन्न मत्स्य विकास गतिविधियों के लिए 6378 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं। इस क्षेत्र में पिछले नौ वर्षों में लक्षित निवेश 38572 करोड़, रुपये से अधिक है, जो इस उभरते क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्षेत्र के विकास पर प्रकाश डाला। अंतरिम बजट में अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की स्थापना पर भी जोर दिया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मछुआरों की सहायता के महत्व को समझने के लिए एक अलग मत्स्य पालन विभाग की स्थापना की गई, जिसके परिणामस्वरूप 2013-14 के बाद से अंतर्देशीय और जलीय कृषि उत्पादन और समुद्री खाद्य निर्यात दोगुना हो गया है। प्रधानमंत्री मस्त्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) जैसी प्रमुख योजना को मौजूदा 3 से 5 टन/हेक्टेयर तक जलीय कृषि उत्पादकता बढ़ाने, निर्यात को दोगुना करके 1 लाख करोड़ रुपये करने और 55 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने के साथ-साथ 5 एकीकृत एक्वापार्क स्थापित करने के बड़े बुनियादी ढांचे में बदलाव के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा, जलवायु लचीली गतिविधियों, बहाली और अनुकूलन उपायों को बढ़ावा देने और एकीकृत और बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के साथ तटीय जलीय कृषि और समुद्री कृषि के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ब्लू इकोनॉमी 2.0 लॉन्च किया जाएगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह राष्ट्रीय आय, निर्यात, खाद्य और पोषण सुरक्षा के साथ-साथ रोजगार सृजन में योगदान देता है। मत्स्य पालन क्षेत्र को ‘सनराइज सेक्टर’ के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह भारत में लगभग 30 मिलियन विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले और कमजोर समुदायों के लोगों की आजीविका को बनाए रखने में सहायक है।
वित्त वर्ष 2022-23 में 175.45 लाख टन के रिकॉर्ड मछली उत्पादन के साथ, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 8 प्रतिशत हिस्सा है और देश के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में लगभग 1.09 प्रतिशत और 6.724 प्रतिशत से अधिक का योगदान कृषि जीवीए के लिए देता है। इस क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं इसलिए टिकाऊ, जिम्मेदार, समावेशी और न्यायसंगत विकास के लिए नीति और वित्तीय सहायता के माध्यम से ध्यान देने की आवश्यकता है।
5 फरवरी 2019 को पूर्ववर्ती पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग से मत्स्य पालन विभाग को अलग करके मत्स्य पालन क्षेत्र को आवश्यक बढ़ावा दिया गया था और इसे प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य पालन बुनियादी ढांचा विकास निधि (एफआईडीएफ) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी), जैसे गहन योजनाओं और कार्यक्रमों से सुसज्जित किया गया है। विभाग अब अमृत काल में नई ऊंचाइयां हासिल करने के लिए तैयार है।