केन्‍द्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2021-22 की सभी निर्धारित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सीजन 2021-22 की सभी निर्धारित खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मंजूरी दे दी है।

कल मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने खरीफ फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है ताकि किसानों को उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित हो सके।

किसानों को उत्पादन लागत पर सबसे अधिक अनुमानित लाभ लगभग 85 प्रतिशत बाजरा से मिलने की संभावना है। उड़द से 65 प्रतिशत और तुअर दाल से उत्पादन लागत के 62 प्रतिशत लाभ का अनुमान है। बाकी फसलों पर रिटर्न उत्पादन लागत का कम से कम 50 प्रतिशत रहेगा।

कृषि मंत्री ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में न्यूनतम समर्थन मूल्य में सर्वाधिक वृद्धि सफेद तिल के लिए अनुशंसित की गई है जो चार सौ 52 रुपये प्रति क्विंटल है इसके बाद तुअर और उड़द न्यूनतम समर्थन मूल्य में 3 सौ रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है।

पिछले वर्ष के मुकाबले मूंगफली में दो सौ 75 रुपये प्रति क्विंटल और काले तिल में 2 सौ 35 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है।

कृषि मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी केन्द्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य, औसत उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुणा तय किया गया था ताकि किसानों को उनकी उपज का समुचित लाभ मिल सके।

लगातार रबी और खरीफ की एमएसपी घोषित की जा रही है। सरकार, गेहूं और धान का उपार्जन एफसीआई के माध्‍यम से कर रही है। दलहन और तिलहन का जो उपार्जन है वो भारत सरकार अपनी अन्‍य एजेन्सियों के माध्‍यम से कर रही है। इसलिये इसमें किसी को भी कहीं भ्रम रखने की आवश्‍यकता नहीं है। एमएसपी चल रही है, एमएसपी बढ़ रही है, एमएसपी पर खरीद भी बढ़ रही है, किसान बन्‍धु अच्‍छी मेहनत कर रहे हैं। उसके परिणाम स्‍परूप उत्‍पादन और उत्‍पादकता भी बढ़ रही है और अगर टोटल में हम देखेंगे तो कुल मिलाकर लागत पर 62 प्रतिशत की वृद्धि इस बार की जो निर्णय है, उनमें हो रही है।

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