तीन तलाक़ पर अध्यादेश को मंजूरी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए अध्यादेश को मिली मंजूरी, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर साधा निशाना, कहा वोट बैंक की राजनीति के कारण राज्यसभा में लंबित विधेयक को पास कराने में नहीं किया सहयोग.

मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए केंद्र सरकार तीन तलाक पर अध्यादेश लेकर आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल के संसद से पास न होने का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रस ने वोट बैंक की राजनीति के कारण इसे राज्यसभा से पास नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में इस पर रोक नहीं लग पाई है जबकि कई मुस्लिम देशों में तीन तलाक बैन है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं इससे परेशान हैं। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक को रद्द कर दिया था और केंद्र सरकार को इस पर छह महीने के भीतर बिल बनाने को कहा था। तीन तलाक अध्यादेश के मसौदे में अहम संशोधन भी किए गए हैं। जिसमें महिला के खून के रिश्ते का व्यक्ति भी शिकायत कर सकता है। इसमें पत्नी की पहल पर समझौता और मजिस्ट्रेट के उचित शर्तों के साथ मंजूरी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। मजिस्ट्रेट पत्नी के आरोपों की सुनवाई के बाद इस मामले में बेल दे सकते हैं। तीन तलाक मामले में पत्नी और बच्चों को गुजारा भत्ता देने का आदेश मजिस्ट्रेट द्वारा किया जा सकता है और छोटे बच्चों को मां के पास रहने का अधिकार होगा। तीन तलाक के मामले में तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

तीन तलाक अध्यादेश का भाजपा ने स्वागत किया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ट्विट कर कहा कि ‘मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक की कुप्रथा पर अध्यादेश को कैबिनेट द्वारा मंजूरी देने के ऐतिहासिक निर्णय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन। इस निर्णय से मोदी सरकार ने देश की मुस्लिम महिलाओं को तीन तालक से मुक्ति देकर समाज में सम्मान से जीने का अधिकार दिया है।’

केंद्र सरकार के तीन तलाक पर लाए गए अध्यादेश को व्यापक समर्थन मिला है।  इसे एक क्रांतिकारी कदम भी बताया जा रहा है। मुस्लिम महिलाओं को छोटी-छोटी बातों पर तीन तलाक का दंश झेलना पड़ता था। अध्यादेश के पहले जब तीन तलाक से पीड़ित कोई महिला थाने जाती थी तो पुलिस इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाती थी क्योंकि इसपर कोई कानून ही नहीं था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

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