अफगानिस्तान में तालिबान ने दावा किया है कि उसके बलों ने पंजशीर घाटी में प्रवेश कर लिया है। तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि पुलिस मुख्यालय और प्रांतीय राजधानी बजारक के समीप रुक्वा जिला केंद्र उनके कब्जे में आ गया है। उन्होंने दावा किया कि विपक्षी बलों के बहुत से लोग हताहत हुए हैं।
हालांकि, अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह के नेतृत्व में अफगानिस्तान के राष्ट्रीय प्रतिरोधी मोर्चे के अंतर्गत विपक्षी बलों ने कहा है कि तालिबान झूठा प्रचार कर रहा है। उन्होंने हमलों का विरोध करने का संकल्प लिया है और अंतरराष्ट्रीय समर्थन का आह्वान किया है। इस बीच, अफगानिस्तान के धार्मिक विद्वानों और मौलवियों ने देश में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न समूहों के बीच बातचीत का आग्रह किया।
अहमद मसूद ने एक फेसबुक पोस्ट पर इस कदम का स्वागत किया और कहा कि अगर तालिबान पंजशीर और अंदराब से अपने लड़ाकों को वापस ले लेता है, तो वे शांति के लिए तैयार होंगे। उन्होंने इस बात का स्वागत किया कि देश के विद्वान और मौलवी वर्तमान स्थिति के प्रति उदासीन नहीं हैं, बल्कि शांति और सुरक्षा चाहते हैं।
अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि वह युद्धग्रस्त देश में तालिबान के अपराधों को समाप्त करने के लिए अपने संसाधन जुटाए। संयुक्त राष्ट्र को लिखे एक पत्र में, सालेह ने कहा कि अफगानिस्तान का अंतिम प्रांत पंजशीर, जो तालिबान द्वारा नियंत्रित नहीं है, बडी तबाही की तरफ जा रहा है, जिससे अफगानियों का नरसंहार हो सकता है। खबरों के अनुसार, स्थानीय महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और पंजशीर पहुंचे 10,000 आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों सहित लगभग ढाई लाख लोग घाटी में फंसे हुए हैं। वे तालिबान की नाकेबंदी का खामियाजा भुगत रहे हैं।
काबुल में तालिबान के राजनीतिक प्रमुख मुल्ला बरादर ने कल संयुक्त राष्ट्र में मानवीय मामलों के अवर महासचिव से मुलाकात की। यह बैठक 13 सितंबर को जिनेवा में अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सहायता सम्मेलन से कुछ दिन पहले हुई है।