चंद्र ग्रहण का पौराणिक ग्रंथों में काफी महत्व बताया गया है। चंद्रमा को मानव मन का प्रतीक मानते हुए उसका इंसान की मनोस्थिति से संबंध बतलाया गया है। दूर ब्रह्मांड में घटित होने वाली इस घटना का मानव जीवन का निकट का संबंध रहता है। हालांकि शास्त्रों के अनुसार चंद्रग्रहण का मानव जीवन पर ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन इस दौरान प्रभु आराधना करने और कुछ एहतियात बरतने की सलाह दी जाती है।
चंद्र ग्रहण के दौरान खाना खाने या भोजन पकाने से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को इस समय अतिरिक्त सतर्क रहने की आवश्यकता है। गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण बिल्कुल नहीं देखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान निकलने वाली नकारात्मक किरणों से आंखों, त्वचा और हार्मोन को गंभीर समस्या हो पैदा सकती है।
मान्यता है कि ग्रहण से पहले से बने भोजन का सेवन ग्रहण के दौरान या उसके बाद नहीं करना चाहिए। ग्रहण के दौरान, यह माना जाता है कि पृथ्वी पर हानिकारक किरणें फैल जाती हैं। इसलिए घर के अंदर रहना चाहिए और सीधे ग्रहण देखने से बचना चाहिए।
ग्रहण के दौरान निकलने वाली हानिकारण किरणें भोजन में भी अवशोषित हो जाती हैं।इसलिए ग्रहण से पहले पका हुआ भोजन खाना चाहिए। ग्रहण के दौरान खाने-पीने से भी बचना चाहिए। घरों में लोग पीने के पानी को शुद्ध रखने के लिए तुलसी, दुर्वा आदि डालते हैं। इस दौरान लोगों को शयन करने से भी बचना चाहिए। मान्यता है कि गर्भावस्था के दौरान जब एक गर्भवती महिला चंद्र ग्रहण देखती है, तो जन्म लेने वाले बच्चे के होंठ फटे हुए होते हैं। इस दौरान किसी नुकीली चीज का उपयोग नहीं करना चाहिए।
मंत्र जाप का मिलता है अनन्त गुना फल
ग्रहण के दौरान किए जाने वाले जाप और मंत्र सिद्ध हो जाते हैं। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य की और चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके सात गुरु के दिए हुए मंत्रों या अपने आराध्य देव के मंत्रों का जाप करने से भी कई गुना फल की प्राप्ति होती है।
चंद्रग्रहण – 5 जून , 2020
आरम्भ – रात्रि 11:15
अंत – रात्रि 2:34 ( 6 जून )
कुल अवधि – 3 घण्टे 19 मिनट
प्रारंभ रात 11:15 मिनिट समाप्ति 6 जून सुबह 2:34 चंद्र ग्रहण जिसमे शुक्र वक्री और अस्त रहेगा गुरु शनि वक्री रहेंगे तो तीन ग्रह वक्री रहेंगे, जिसके कारण जिसके प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर होगा। शेयर बाजार से जुड़े हुए लोग सावधान रहें। यह ग्रहण वृश्चिक राशि पर बुरा प्रभाव डालेगा। किसी ख्याति प्राप्त व्यक्ति की रहस्यात्मक मौत हो सकती है। परिवार वालोंं के साथ वाद विवाद का सामना करना पड़ेगा। वृश्चिक राशिवाले सावधान रहें।
ज्योतिषियों के मुताबिक इस ग्रहण का भारत में प्रभाव नहीं है इसलिए इस ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं माना जाएगा। इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा। ज्योतिष शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है। इसलिए इस दिन कोई भी कार्य करने पर प्रतिबंध नहीं होगा।
साल 2020 का यह दूसरा चंद्रग्रहण है. पहला चंद्र ग्रहण जनवरी में लगा था। इसके बाद साल का तीसरा 05 जुलाई और आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा। यह चंद्र ग्रहण भारत समेत एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में देखा जा सकेगा। इस ग्रहण में चांद के आकार में कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिलेगा सिर्फ चांद थोड़ा सा धुंधला दिखाई देगा। इसी महीने सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। यह सूर्य ग्रहण इस साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा।
क्या होता है उपछाया ग्रहण?
5 जून को लगने वाला ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है। चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार इस उपछाया चंद्र ग्रहण में चांद पर मात्र पृथ्वी की छाया पड़ेगी, इसलिए धार्मिक और सामान्य कामकाज करने में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं होगा।
ज्योतिष शास्त्र में उपछाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है। इसलिए उपछाया ग्रहण में कोई सूतक नहीं माना जाता है। चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है।