रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 19वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज भारत पहुंचेंगे, दो दिवसीय यात्रा के दौरान अरबों डॉलर के एस-400 मिसाईल सिस्टम सहित कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है ।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आज दो दिन की यात्रा पर भारत आ रहे हैं। इस बातचीत का प्रमुख एजेंडा व्यापार साझेदारी में विशेषाधिकार के अहम पहलुओं पर चर्चा है। राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा में भारत और रुस के बीच जमीन से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाईल सिस्टम पर सहमति बनने की उम्मीद है।
भारत और रुस के संबंध विश्वास की नींव पर रखे गये थे और गुजरे समय के साथ ये और भी मजबूत हुए हैं। हालांकि व्यापारिक तौर पर देखें तो दोनों देशों के बीच व्यापार का स्तर मात्र 10 अरब डालर का है जो दशकों पुराने संबंधों को देखते हुए उत्साहित नही करता है। दोनों देशों ने परस्पर व्यापार का स्तर 2015 तक बढ़ाकर 30 अरब डालर करने का लक्ष्य रखा है। इस व्यापारिक रिश्ते में अंतर्राष्ट्रीय नॉर्थ-साउथ गलियारे की बड़ी भूमिका हो सकती है। एक बार अस्तित्व में आ जाने के बात भारत से रुस का रास्ता मध्य एशिया के रास्ते खुलेगा साथ ही मध्य एशिया से सटे कई यूरोपिय देशो से भी इस क्षेत्र के लिये नये व्यापारिक अवसर खुल सकते हैं।
रुसी हथियार भारतीय सेना के पारंपरिक दोस्त रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा में भारत और रुस के बीच जमीन से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाईल सिस्टम पर सहमति बनने की उम्मीद है। इस सौदे की कीमत 5 अरब डालर से भी अधिक होगी। 400 किलोमीटर की मारक क्षमता के साथ ये अत्याधुनिक मिसाईल सिस्टम भारतीय सेना को और भी मजबूत बनायेगा ।
मौजूदा रक्षा और व्यापारिक समझौतों के बीच दोनों देशों के बीच लोगों का परस्पर संवाद भी रिश्तो में मजबूती के लिये जरुरी है। जानकार मानते हैं कि सोवियत रुस के विघटन के बाद इस क्षेत्र में दोनों देशों की तरफ से किसी ठोस पहल का अभावा रहा है। बीते 25 सालों में दोनों ही देशों में एक नयी पीढ़ी आ चुकी है जिनके लिये भारत रुस के संबंधों के महत्व को को नये सिरे से समझाने की जरुररत है। भारत रुस शिखर वार्ता की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में हुई थी। बीते सालो में इस वार्ता नें लगातार दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सामरिक संबंधों को नयी दिशा देने का काम किया है।