रिज़र्व बैंक ने ब्याज दरों में नहीं किया कोई बदलाव

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रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने शुक्रवार को 2018-19 की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा की और रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया. रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट को 6.50 फीसद पर स्थिर रखा गया है.

वहीं रिवाइज रेपो रेट 6.25 फीसद है, जबकि महंगाई दर 4 फीसद रहेगी. वहीं रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.4 फीसद पर बरकरार रखा है. वित्त वर्ष 2019-20 में वृद्धि 7.6 फीसद पहुंचने का अनुमान जताया गया है.

 

मौद्रिक नीति समिति ने चौथा द्विमासिक वक्‍तव्‍य जारी किया, रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर यथावत 

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज अपनी बैठक में वर्तमान एवं उभरती समग्र आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर अपना चौथा द्विमासिक वक्‍तव्‍य जारी किया और इसके साथ ही तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत नीतिगत रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया।

वित्‍त वर्ष 2018-19 के लिए सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के विकास अनुमान को अगस्‍त माह के 7.4 प्रतिशत पर ही अपरिवर्तित रखा गया है। वित्‍त वर्ष 2018-19 और वित्‍त वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही के लिए महंगाई के अनुमान को अगस्‍त माह की तुलना में संशोधित करके कम कर दिया गया है।

सरकार ने एमपीसी के आकलन का स्‍वागत किया है और नीतिगत रेट को यथावत रखने संबंधी उसके निर्णय को रेखांकित किया।

 

वाणिज्‍य मंत्री ने भारत-चीन व्‍यापार पर अध्‍ययन रिपोर्ट जारी की 

केन्‍द्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने भारत-चीन व्‍यापार पर वाणिज्‍य विभाग द्वारा कराए गए अध्‍ययन से सम्‍बन्धित रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में चीन के साथ भारत के बढ़ते व्‍यापार घाटे के स्‍तर का उल्‍लेख करने के साथ-साथ इसके कारणों का विश्‍लेषण भी किया गया है।

वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि चीन के साथ भारत का व्‍यापार सम्‍बन्‍ध अनूठा है और देश में लोगों की जितनी रुचि भारत-चीन व्‍यापार सम्‍बन्‍धों में होती है, उसकी तुलना किसी और द्विपक्षीय व्‍यापार सम्‍बंध से नहीं की जा सकती है। चीन वर्ष 2001 में भारत का एक छोटा व्‍यापार साझेदार था और 15 वर्षों की अवधि में ही चीन बड़ी तेजी से भारत का सबसे बड़ा व्‍यापार साझेदार बन गया है। दोनों देशों के बीच व्‍यापार बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही चीन के साथ भारत का व्‍यापार घाटा भी बढ़ता जा रहा है।

मंत्री महोदय ने अध्‍ययन रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि ज्‍यादातर उद्योग संगठन चाहते हैं कि सरकार मुक्‍त व्‍यापार समझौतों (एफटीए) को लेकर रक्षात्‍मक रुख अख्तियार करे और घरेलू उत्‍पादकों के लिए घरेलू बाजारों के सिद्धांत पर अमल करते हुए शुल्‍क दरों (टैरिफ) को बढ़ा दे। विश्‍व भर में संरक्षणवादी नीतियां तेजी से अमल में लाई जा रही हैं। वर्ष 2018 में विश्‍व भर में संरक्षणवादी उपायों का उपयोग अप्रत्‍याशित रहा और इसके साथ ही दुनिया की दो सबसे बड़ी अ‍र्थव्‍यवस्‍थाओं के बीच व्‍यापार युद्ध का खतरा भी मंडराने लगा है।

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