पीएम मोदी ने लॉन्च किया ‘मैं नहीं हम’ पोर्टल और ऐप

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को “मैं नहीं हम” नाम के एक पोर्टल और ऐप को लॉन्च किया. यह ऐप कारोबारियों और संगठनों को सामाजिक सरोकारों और समाज सेवा से जुड़े उनके प्रयासों को एक साथ लाने का मंच प्रदान करेगा. इस मौके पर पीएम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए युवाओं से स्टार्ट अप का इस्तेमाल सामाजिक सरोकारों के लिए करने को कहा.

देश की तस्वीर को यदि बदलना है तो तकनीक का सहारा लेना होगा और तभी हमारी तकदीर बदलेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह नजरिया बुधवार को लॉन्च हुए ‘मैं नहीं हम’ पोर्टल और ऐप में साफ दिखा. ‘सेल्‍फ फॉर सोसायटी’ की थीम पर काम करने वाला यह पोर्टल आईटी क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों और संगठनों को सामाजिक सरोकारों और समाज सेवा से जुड़े उनके प्रयासों को एक साथ लाने का मंच प्रदान करेगा. इसके माध्‍यम से प्रौद्योगिकी का लाभ समाज के कमजोर तबके तक पहुंचाने के लिए आपसी सहयोग के प्रयासों में तेजी लाई जा सकेगी. पोर्टल के जरिए समाज की बेहतरी के लिए काम करने के इच्‍छुक लोगों की व्‍यापक सहभागिता को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के युवा तकनीक का इस्तेमाल ना सिर्फ खुद के लिए कर रहे हैं, बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी कर रहे हैं. उन्होंने लोगों को आह्वान करते हुए उनसे अपनी ताकत का इस्तेमाल कर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की अपील की.

तकनीक का इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए हो सके, प्रधानमंत्री के इस आह्वान का लोगों ने स्वागत किया.

प्रधानमंत्री ने स्टार्ट अप को सामाजिक सरोकारों से जुड़ने की अपील की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर छोटे-बड़े प्रयास की कद्र होनी चाहिए. सरकार योजनाएं बना सकती है लेकिन किसी भी पहल की सफलता जनता के जुड़ने पर निर्भर करती है. उन्होंने कहा कि भारतीय युवा आज के समय में तकनीक का न सिर्फ बेहतर इस्तेमाल कर रहा है, बल्कि इससे अन्य लोगों को भी फायदा पहुंचा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने लोगों से आगे बढ़कर देश के उत्थान में भागीदार बनने की अपील की.

 

पीएम नरेंद्र मोदी को 2018 का सियोल शांति पुरस्कार

भारत में अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती असमानता को दूर करने और भारत ही नहीं बल्कि विश्व के आर्थिक विकास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की देश में ही नहीं बल्कि अब दुनिया में भी सराहना हो रही है और इसका प्रमाण है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिला 2018 का सियोल शांति पुरस्कार. सियोल पुरस्कार समिति ने भ्रष्टाचार विरोधी कदमों और विमुद्रीकरण के उपायों के जरिए सरकार को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में पीएम मोदी की पहलों की काफी तारीफ की है.

भारत को विश्व गुरु के पद पर आसीन करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हमेशा से सपना रहा है. उनके न्यू इंडिया के सपने में ऐसे भारत की परिकल्पना की गई जिसकी वैश्विक पहचान हो. उनकी इसी सोच को सियोल शांति पुरस्कार समिति की ताजा घोषणा से बल मिला है. समिति ने इस साल का पुरस्कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदान करने का फैसला किया है.

गौरतलब है कि 1990 में स्थापित हुए सियोल शांति पुरस्कार को सियोल में सफलतापूर्वक आयोजित किए गए 24वें ओलंपिक की याद में दिया जाता है. ये पुरस्कार कोरियाई लोगों की कोरियाई प्रायद्वीप और शेष विश्व में शांति बनाए रखने की आकांक्षा को दर्शाता है. इसे एक ऐसे अवसर के रूप में मान्यता दी जाती है, जब माना जाता है कि विश्व शांति को आपसी सहमति और सहयोग के जरिए हासिल किया जा सकता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए चुने जाने के प्रति आभार व्यक्त किया है और कोरिया गणराज्य के साथ भारत के गहरे संबंधों के प्रकाश में इसे स्वीकार कर लिया है.

प्रधानमंत्री को प्रदान किया जाने वाला यह पुरस्कार उनके योगदान के कारण देश के लोगों के जीवन में आए बदलाव को भी मान्यता प्रदान करता है.

इसका सबसे उम्दा उदाहरण अभी हाल में ही लागू की गई विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत है. जो गरीबों को मुफ्त में इलाज की सुविधा प्रदान करती है. ये कार्यक्रम प्रधानमंत्री का सबका साथ, सबका विकास के मंत्र को पूरा करती है.

पुरस्कार समिति ने प्रधानमंत्री के धनी और गरीबों के बीच सामाजिक और आर्थिक विषमता को कम करने के लिए ’मोदीनॉमिक्स’ को श्रेय देते हुए भारत और विश्व की अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि में उनके योगदान की पहचान की है. पुरस्कार समिति ने भ्रष्टाचार विरोधी कदमों और विमुद्रीकरण के उपायों के जरिए सरकार को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में पीएम मोदी की पहलों की काफी तारीफ की है.

समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ’एक्ट ईस्ट नीति’ और ‘मोदी सिद्धांत’ के माध्यम से क्षेत्रीय और विश्व शांति के लिए दुनिया के देशों के लिए सक्रिय नीति को अपनाने का भी श्रेय दिया है.

गौरतलब है कि पीएम मोदी विश्व के ऐसे 14वें व्यक्ति होंगे, जिन्हें इस सम्मान के लिए चुना गया है. उनसे पहले संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान और बान की मून को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. वहीं लघु वित्तीय संस्थाओं और ग्रामीण बैंक के लिए विख्यात हुए मोहम्मद युनूस को भी यह पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है.

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