NPAs of banks are falling

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कम हो रहा है बैंको का एनपीए, चालू वित्त वर्ष में बैंकों में 65,000 करोड़ रुपये के बजाए कुल 1.06 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज देने की क्षमता में होगा इजाफा.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि एनपीए की पहचान लगभग पूरी हो चुकी है साथ ही जेटली ने कहा है कि सरकार के जरिए चालू वित्त वर्ष के बाकी महीनों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 83000 करोड़ रुपए डाले जाएंगे. पूंजी डाले जाने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और आरबीआई के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा से बाहर निकलने में मदद मिलेगी।

हाल के दिनों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में फंसे कर्ज यानी एनपीए  की समस्या पर काफी चर्चा हुई है और सरकार ने इसको दूर करने के लिए कई जरुरी कदम उठाए। अब सरकार का कहना है कि एनपीए की पहचान का काम पूरा हो चुका है और एनपीए में कमी आनी शुरू हो गयी है। सरकार बैंकों को मदद देने के लिए  चालू वित्त वर्ष के बचे हुए महीनों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 83,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी।

जेटली के मुताबिक पूंजी डाले जाने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और आरबीआई के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई यानी पीसीए  रूपरेखा से बाहर निकलने में मदद मिलेगी। पीसीए की व्यवस्था के तहत बैंकों से कुछ जोखिम गतिविधियों से परहेज करने, कामकाजी दक्षता बढ़ाने और पूंजी की हिफाजत पर जोर देने के लिए कहा जाता है।  

इससे पहले, दिन में सरकार ने अनुपूरक अनुदान मांग की दूसरी किस्त के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 41,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के लिये संसद की मंजूरी मांगी। इससे चालू वित्त वर्ष में बैंकों में 65,000 करोड़ रुपये के बजाए कुल 1.06 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी।

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