प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से हो रहे कृषि सुधारों पर मुख्यमंत्रियों व राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज एक बैठक में विस्तृत चर्चा की। इस दौरान श्री तोमर ने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से देश के 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे व मझौले किसानों तक पूरा फायदा पहुंचना जरूरी है। प्रधानमंत्री जी ने किसानों के लिए एक साथ इतनी बड़ी राशि दी है, इतना फंड पहले कभी उपलब्ध नहीं हुआ। श्री तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए अध्यादेश पूरी तरह से किसान हितैषी है, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर भी गुमराह नहीं होना चाहिए, किसानों से एमएसपी पर उपज की खरीद पूर्व की तरह जारी रहेगी। राज्यों के मुख्यमंत्रियों व मंत्रियों ने इस दौरान कहा कि किसानों की भलाई के लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड का उपयोग करने में वे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, गांव-गांव में इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करेंगे।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार इस फंड का पूरा उपयोग करेगी व किसानों की आय दोगुनी करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी बना ली गई है। केंद्र की नई स्कीम के तहत एफपीओ के गठन को भी राज्य सरकार आंदोलन के रूप में ले रही हैं। इनके माध्यम से फंड के सदुपयोग के लिए प्रस्ताव भेजे जाएंगे। प्रत्येक ब्लॉक से कम से कम दो प्रस्ताव भेजेंगे। नाबार्ड व एनसीडीसी को शामिल करते हुए मार्कफेड व अपेक्स बैंक की दो कमेटियां बनाई हैं। फंड से चलने वाली गतिविधियों का प्रारंभिक निर्धारण कर लिया है। 263 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों व 54 विपणन समितियों को चिन्हित किया गया है। एक जिला-एक पहचान की योजना बनाई है, जिससे जिलों में विशिष्ट उत्पादों को बढ़ावा दिया जायेगा। आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाएंगे। स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देंगे व मंडियों का आधुनिकीकरण करेंगे। श्री चौहान ने कहा कि सरकार द्वारा मुफ्त बांटे जाने से नहीं, बल्कि इस तरह के फंड जैसी दीर्घकालीन योजनाओं को अमल में लाने से ही किसानों को वास्तविक लाभ होगा।
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई है, जिससे किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल हो सकेगा। हरियाणा में 108 मंडियों का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छा है, जहां सीमांत क्षेत्रों की मंडियों में पड़ोसी राज्यों के किसान भी उपज रखते हैं। राज्य में पानी की समस्या के चलते धान की खेती को कम करके अन्य फसलों पर ध्यान दे रहे हैं। मेरा पानी-मेरी विरासत योजना बनाई है। एक लाख करोड़ रुपये के फंड में से हरियाणा के लिए छह हजार करोड़ रुपये का प्रावधान है, जिसके प्रोजेक्ट्स बना लिए हैं। राज्य में मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल से किसानों को मदद मिल रही है। राज्य में 500 एफपीओ हैं, जिन्हें एक हजार करने का लक्ष्य है। 17 लाख किसानों को जागरूक करने के लिए 17 हजार किसान मित्र बना रहे हैं। नए अध्यादेशों पर सरकार किसानों को सतत् जागरूक कर रही हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय जरूरतों के अनुसार कृषि अवसंरचनाएं विकसित की जाएगी, ताकि किसानों की समस्याएं दूर हों, उन्हें सुविधाएं मिलें।
प्रारंभ में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री लगातार इस बात पर बल देते रहे हैं कि कृषि क्षेत्र में समृद्धता आएं और किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी हो जाये। इस दिशा में भारत सरकार ने एक के बाद एक कदम उठाएं हैं, जिसमें राज्यों ने जुड़कर बहुत अच्छा काम किया है, परिणाम भी परिलक्षित हो रहे हैं। कृषि क्षेत्र की कमियों को दूर करने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना फंड की शुरुआत की है, जिससे गांव-गांव निजी निवेश बढ़ेगा, जिसका फायदा सीधे खेतों व छोटे-मझौले किसानों तक पहुंचना आवश्यक है। इस फंड से कृषि व ग्रामीण क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आएगा। श्री तोमर ने कहा कि 8 जुलाई को प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस फंड को मंजूर करने का निर्णय लिया, कृषि मंत्रालय ने मात्र महीनेभर में सारी कार्यवाही पूरी कर दी और 9 अगस्त को पीएम ने इसका शुभारंभ भी कर दिया। यह अपने आप में एक बड़ी सफलता है। 12 सरकारी बैंकों व आईडीबीआई के साथ एमओयू भी हो चुका है, जो फंड के माध्यम से कृषि क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर हैं। अब राज्य सरकारें इस दिशा में तेजी लाकर पैकेज का ठीक प्रकार से किसानों तक लाभ पहुंचाने में मदद करें। राज्यों में सर्वे करें, सेमिनारों का आयोजन हों, बैंकर्स व अन्य संबंधितों से भी चर्चा की जाएं।
श्री तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार के अध्यादेशों से किसानों को बड़ा फायदा होने वाला है। कांट्रेक्ट फार्मिंग व क्लस्टर खेती होने से किसानों की आय में वृद्धि होगी। 10 हजार एफपीओ की स्कीम के लिए 6,865 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिससे 85 प्रतिशत छोटे किसानों को लाभ मिलेगा। छोटे किसानों का रकबा, उत्पादन-उत्पादकता बढ़ाने की दृष्टि से इन एफपीओ की बड़ी भूमिका होगी। सामूहिक रूप से सिंचाई, खाद-बीज आदि सुविधाएं मिलने से खेती की लागत कम होगी। राज्यों से अगले दौर की बैठकों में भी चर्चा होगी।
हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री श्री वीरेंद्र कंवर, गुजरात के कृषि मंत्री श्री आर.सी. फलदू, बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार व नाबार्ड के चेयरमैन श्री जी.आर. चिंताला ने भी विचार रखें। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी भी वीसी से जुड़े थे। कृषि राज्य मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने आभार माना। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने योजना का प्रेजेंटेशन देते हुए राज्यों में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट बनाने का सुझाव दिया।
योजना के तहत लाभ- एग्री इंफ्रा फंड की योजना अवधि वित्तीय वर्ष 2020 से वित्तीय वर्ष 2029 (10 वर्ष) तक होगी। यह स्कीम किसानों, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पाद संगठन, कृषि उद्यमियों आदि को सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों और फसलोपरांत कृषि मूलभूत संरचना के निर्माण में सहायता प्रदान करेगी। इसके तहत 2 करोड़ रू. तक के ऋण के लिए सीजीटीएमएसई योजना के तहत क्रेडिट गारंटी कवरेज और 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से की ब्याज छूट के साथ ऋण के रूप में बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा 1 लाख करोड़ रू. दिए जाएंगे। योजना के दिशा-निर्देश जारी हो चुके हैं। एक पोर्टल भी खोला गया है।
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डीओसीए जल्द ही देश में सभी उत्पादों के मानकीकरण के लिए ‘एक राष्ट्र, एक मानक’ योजना की शुरुआत करेगा
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री रामविलास पासवान ने आज ज्वैलर्स के लिए पंजीकरण और नवीकरण की ऑनलाइन प्रणाली और जांच-परख और हॉलमार्किंग केंद्रों की मान्यता और नवीकरण के लिए ऑनलाइन प्रणाली की शुरुआत की। इस ऑनलाइन प्रणाली तक भारतीय मानक ब्यूरो के वेब पोर्टल www.manakonline.in के माध्यम से पहुंच जा सकता है, ऑनलाइन प्रणाली की शुरुआत करते हुए श्री पासवान ने कहा कि पंजीकरण के लिए प्राप्त प्रस्तावों की बड़ी संख्या को मैन्युअल रूप से संभालना बहुत मुश्किल था, इसलिए ये ऑनलाइन माध्यम उन ज्वैलर्स और उद्यमियों दोनों के लिए कारोबार में सुविधा लेकर आएंगे जिन्होंने परख-जांच और हॉलमार्किंग केंद्र स्थापित किए हैं या ऐसा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि 1 जून 2021 से कीमती धातुओं के लिए हॉलमार्किंग की प्रक्रिया अनिवार्य होगी।
श्री पासवान ने मीडिया को इस योजना के संदर्भ में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि ऑनलाइन प्रणाली के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि आवेदनों को आगे बढ़ाने के लिए कोई मानवीय चेहरा शामिल नहीं होगा। अब ज्वैलर्स इस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करके आवश्यक दस्तावेज और फीस जमा कर सकते हैं। ऑनलाइन प्रक्रिया के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस समय कोई भी ज्वैलर्स अपेक्षित शुल्क के साथ आवेदन जमा करता है, उसे पंजीकरण की अनुमति प्रदान कर दी जाएगी। एक ई-मेल और एसएमएस अलर्ट उसके पास चला जाएगा, जो कि पंजीकरण संख्या को सूचित करेगा, और फिर वे पंजीकरण संख्या का उपयोग करके पंजीकरण का प्रमाण पत्र डाउनलोड और प्रिंट कर सकते हैं।
श्री पासवान ने कहा कि सोने के आभूषणों और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग अनिवार्य होने से, पंजीकरण के लिए आने वाले ज्वैलर्स की संख्या वर्तमान में 31 हजार से बढ़कर 5 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। श्री पासवान ने कहा कि हॉलमार्क कराने के लिए आभूषण और कलाकृतियां की संख्या में भी बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि अनुमान है कि यह संख्या 5 करोड़ के मौजूदा स्तर से बढ़कर 10 करोड़ भी हो सकती है। इसके माध्यम से जांच-परख एवं हॉलमार्किंग केंद्रों (एएंडएच) की संख्या में भी वृद्धि करने की आवश्यकता होगी। वर्तमान समय में, देश के 234 जिलों में 921 केंद्र स्थापित हैं। उन्होंने बताया कि बीआईएस जून, 2021 तक शेष 480 जिलों में भी एएंडएच केंद्रों की शुरुआत करने की दिशा में काम कर रहा है। श्री पासवान ने बताया कि अब केवल तीन श्रेणियों के लिए ही बीआईएस हॉलमार्क जारी किए जायेंगे। वे 14 कैरेट (14के585), 18 कैरेट (18के750) और 22 कैरेट (22के916) केवल एएंडएच सेंटर के पहचान चिन्ह/नंबर और ज्वैलर्स पहचान चिन्ह/नंबर के साथ उपलब्ध होंगे।
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पद्धति यह सुनिश्चित करेगी कि नया केंद्र शुरू करने या मौजूदा लाइसेंस को नवीनीकृत करने के लिए आवेदन ऑनलाइन जमा किए जा सकते हैं। मान्यता प्रदान करने की पूरी प्रक्रिया, जिसमें केंद्र का लेखा परीक्षण, लेखा परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करना और मान्यता प्रदान करना व नवीनीकरण को स्वचालित कर दिया गया है। न केवल आवेदक के पास सभी जानकारी उपलब्ध होगी, बल्कि आवेदनों की प्रक्रिया को वास्तविक समय आधारित मॉनिटरिंग करना भी संभव हो सकेगा।
श्री पासवान ने अपने संबोधन में इस तथ्य का विशेष रूप से उल्लेख किया कि ऑडिट करने की ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से, आभूषण के हॉलमार्किंग में अनियमितता से संबंधित शिकायतों का त्वरित समाधान करने में सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि बीआईएस जांच-परख केंद्रों और हॉलमार्किंग केंद्रों के कार्य प्रवाह को स्वचालित करने के लिए मॉड्यूल बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है, जिसके दिसंबर, 2020 तक तैयार हो जाने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि दोनों ऑनलाइन पद्धति की शुरुआत होने के साथ ही उन्हें उम्मीद है कि ज्वैलर्स और उद्यमियों को प्रमाणिक गुणवत्ता और उपभोक्ताओं के लिए शुद्ध स्वर्ण आभूषणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार के प्रयास में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। श्री पासवान ने आगे कहा कि बीआईएस के कामकाज की समीक्षा करते हुए, वे हॉलमार्किंग के लिए समर्पित केन्द्रों में लोगों की संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता को भी महसूस कर रहे हैं और शाखा कार्यालयों में अतिरिक्त लोगों को नियुक्त करने के लिए मंजूरी भी प्रदान कर सकते हैं।
श्री पासवान ने कहा कि यह विभाग, भारत में उत्पादों के लिए आईएस या ईयू के मानकों को लागू करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने बताया कि सितंबर, 2020 से बीआईएस के अधिकारी, कस्टम अधिकारियों के साथ मिलकर 7 भारतीय बंदरगाहों पर आयात होने वाले उत्पादों की कार्गो गुणवत्ता और मानक की जांच करेंगे। केवल उन्हीं उत्पादों को भारतीय बाजारों में प्रवेश करने की अनुमति प्रदान की जाएगी, जो निर्धारित गुणवत्ता मानकों को पूरा करेंगे। वर्तमान में इस्पात, रासायनिक, भारी मशीनें और खिलौने देश की आयात सूची में प्रमुख हिस्सेदारी रखते हैं।
श्री पासवान ने बताया कि बीआईएस द्वारा बाजार में उपलब्ध विभिन्न उत्पादों के लिए गुणवत्ता जांच पर भी काम किया जा रहा है। वर्तमान समय में, क्यूसीओ के 254 उत्पाद हैं और प्रक्रिया के अंतर्गत क्यूसीओ के लिए अन्य 268 उत्पाद कतार में हैं। श्री पासवान ने बताया कि अन्य उत्पादों के लिए क्यूसीओ प्रदान करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ चर्चा की जा रही है।
नया बीआईएस अधिनियम, 2017 अर्थव्यवस्था की नई चुनौतियों पर काबू पाने में ज्यादा प्रभावी है। इस अधिनियम के माध्यम से बीआईएस का दायरा बढ़ जाता है। उपभोक्ता मामलों का विभाग, अन्य मंत्रालयों और विभाग के साथ चर्चा कर रहा है जिससे कि वह उत्पादों के मानकीकरण के लिए प्रमाणपत्र भी जारी कर सकें, जो उसके विशेषाधिकार के अंतर्गत आता है।
अपने समापन भाषण में, श्री पासवान ने कुछ समय पहले शुरू किए गए भारतीय मानक ब्यूरो-बीआईएस केयर ऐप की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने उपभोक्ताओं से आग्रह किया कि वे आभूषणों/कलाकृतियों की गुणवत्ता या एएंडएच केंद्रों या किसी अन्य उत्पादों का पंजीकरण या मान्यता प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की कमी से संबंधित शिकायतों को दर्ज करने के लिए इस ऐप का उपयोग करें।
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