Navaratri 2018: कल्याणकारी होंगे इस बार नवरात्र, नौका पर सवार होकर आएंगी मां

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10 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रों की शुरुआत होने जा रही है। मां के आगमन के साथ ही शुभ समय का आरंभ माना जाता है। इस बार मां का आगमन नौका पर हो रहा है, जो पूरे देश के लिए सिद्धिदायक है। इसी तरह विजयादशमी शुक्रवार को पड़ रही है, जिससे मां की विदाई गज पर होगी। यह संयोग भी सुवृष्टि फलदायक है। आइए जानते हैं नवरात्र के पहले दिन क्या होगा कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और कितने दिन के होंगे नवरात्र।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : 10 को 7:56 में होगा कलश स्थापना

नौका से माँ का आगमन, गज से गमन

मां दुर्गे का आगमन इस बार नौका पर है। जो पूरे देश के लिए सिद्धिदायक है। विजयादशमी शुक्रवार को होने से मां की विदाई गज पर है जो सुवृष्टि फलदायक होगी।

नौकावाहनम् :
बुधे नौका प्रकीर्त्तिताः
नौकायां सर्वसिद्धिस्याद्।
”बुध-शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन देवि सुवृष्टिकरा”

किसी तिथि की क्षय-वृद्धि नहीं
इस वर्ष शारदीय नवरात्र पूजन में किसी तिथि की क्षय-वृद्धि नहीं है। 10 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि के मान प्रातः 7:56 तक हैं तथा अभिजित मुहूर्त दिवा 11:47 से किन्तु दिनभर श्री दुर्गे पूजनोत्सव सह कलश स्थापन के कार्यक्रम होंगे।

  • 10 अक्टूबर (बुधवार ) प्रतिपदा- को पूर्वाह्न 07:56 कलश स्थापन मांशैलपुत्री दर्शनम्।
  • 11 अक्टूबर (गुरुवार ) द्वितीया पुरावह्न 07:08 मांब्रह्मचारिणी देवी दर्शनम्।
  • 12 अक्टूबर (शुक्रवार) तृतीया- पूर्वाह्न 6:49 मांचन्द्रघण्टा देवी दर्शनम्।
  • 13 अक्टूबर (शनिवार) चतुर्थी- पूर्वाह्न 6:59 मांकूष्माण्डा देवी दर्शनम्।
  • 14 अक्टूबर (रविवार) पञ्चमी पूर्वाह्न 7:44 मांस्कन्दमाता देवी दर्शनम्।
  • 15 अक्टूबर (सोमवार) षष्ठी पूर्वाह्न  8:54 मांकात्यायनी देवी दर्शनम्!
  • 16 अक्टूबर (मंगलवार) सप्तमी पूर्वाह्न 10:31 मांकालरात्रि देवी दर्शनम्!
  • 17 अक्टूबर (बुधवार) महाष्टमी अपराह्न 12:27 मांश्री महागौरी देवी दर्शनम्!
  • 18 अक्टूबर (गुरुवार) महानवमी अपराह्न 2:32 मांसिद्धिदात्री देवी दर्शनम्!
  • 19 अक्टूबर (शुक्रवार) विजया दशमी अपराह्न 4:39 विजययात्रा।

 

Navaratri 2018: 10 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं नवरात्र, ये है पूजा के लिए जरूरी सामग्री

 

सर्वपितृ अमावस्या 9 अक्टूबर को हैं इसके बाद 10 अक्टूबर से शुरु होंगे नवरात्रि। नवरात्रि में माता की अखंड ज्योति से लेकर ज्वार बोने तक कई चीजों की जरूरत होती है। ज्योतिषियों की मानें तो पूजा की सामग्री भी अमावस्या के तिथि खत्म होने के बाद ही खरीदना शुभ होता है। तो यहां हम आपको बता है

पूजा स्थल को शुद्ध करने के बाद इस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। कपड़े पर थोड़ा चावल रख लें और गणेश जी का स्मरण करें। इसके बाद मिट्टी के पात्र में जौ बोना चाहिए। पात्र के उपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें और इसके मुख पर रक्षा सूत्र बांध लें। कलश पर रोली से स्वास्तिक या ऊं बना लें। कलश के अंदर साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल, सिक्का डालें। उसके ऊपर आम या अशोक के पत्ते रखें और फ‍िर ऊपर नारियल रख दें। इसके बाद इस पर लाल कपड़ा लपेट कर मोली लपेट दें।

अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें क‍ि नौ दिनों के लिए वे इसमें विराजमान हों। अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती जलाएं, माला अर्पित करने के बाद कलश को फल, मिठाई, इत्र आद‍ि समर्पित करें।

नारियल रखते हुए ध्‍यान में रखें ये बातें 
ध्यान रहे कि नारियल का मुख उस सिरे पर हो, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है। नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे।

 

सामग्री
माता की मूर्ति
चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीला कपड़ा
माता की लाल चुनरी
कलश
ताजा आम के पत्ते
फूल माला
एक जटा वाला नारियल
पान के पत्ते
सुपारी
इलायची
लौंग
कपूर
रोली, सिंदूर
मौली (कलावा)
चावल
घी
रुई या बत्ती
हवन सामग्री
पांच मेवा
कपूर
जवारे बोने के लिए मिट्टी का बर्तन
माता के श्रंगार

 

  • 10 अक्टूबर (बुधवार ) प्रतिपदा- को पूर्वाह्न 07:56 कलश स्थापन मां शैलपुत्री दर्शनम्।

 

Navratri 2018: 10 अक्टूबर से शुरू हो रही है नवरात्रि, जानें नौ देवियों के बीज मंत्र

शारदीय नवरात्र दस अक्टूबर यानि परसों से शुरू हो रहे हैं। 18 अक्टूबर को नवमी पूजन के साथ यह संपन्न होंगे। 10 अक्टूबर को नवरात्र कलश स्थापना होगी। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। बीज मंत्र के जाप से आप देवी भगवती की आराधना कर सकते हैं। ये समस्त जाप मानसिक हैं। आप मन ही मन इनका जाप करिए।

11 अक्टूबर (गुरुवार ) द्वितीया पुरावह्न 07:08 मां ब्रह्मचारिणी देवी दर्शनम्।

  • 12 अक्टूबर (शुक्रवार) तृतीया- पूर्वाह्न 6:49 मांचन्द्रघण्टा देवी दर्शनम्।
  • 13 अक्टूबर (शनिवार) चतुर्थी- पूर्वाह्न 6:59 मांकूष्माण्डा देवी दर्शनम्।
  • 14 अक्टूबर (रविवार) पञ्चमी पूर्वाह्न 7:44 मां स्कन्दमाता देवी दर्शनम्।
  • 15 अक्टूबर (सोमवार) षष्ठी पूर्वाह्न  8:54 मां कात्यायनी देवी दर्शनम्!
  • 16 अक्टूबर (मंगलवार) सप्तमी पूर्वाह्न 10:31 मां कालरात्रि देवी दर्शनम्!
  • 17 अक्टूबर (बुधवार) महाष्टमी अपराह्न 12:27 मांश्री महागौरी देवी दर्शनम्!
  • 18 अक्टूबर (गुरुवार) महानवमी अपराह्न 2:32 मांसिद्धिदात्री देवी दर्शनम्!
  • 19 अक्टूबर (शुक्रवार) विजया दशमी अपराह्न 4:39 विजययात्रा।

 

 

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