5 जुलाई को है चंद्र ग्रहण, जानिये समय, स्‍थान, सूतक काल और इससे जुड़ी हर बात

पांच जुलाई को साल का तीसरा चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। ये ग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन लगेगा। एक महीने में लगने वाला ये तीसरा ग्रहण है। इससे पहले एक सूर्यग्रहण और एक चंद्र ग्रहण लग चुका है। इस साल कुल मिलाकर 6 ग्रहण लगने हैं जिनमें चार चंद्रग्रहण और दो सूर्य ग्रहण हैं। अभी तक जो दो चंद्रग्रहण लग चुके हैं वे दोनों ही उपछाया चंद्रग्रहण थे। इसके अलावा एक सूर्य ग्रहण भी 21 जून को लग चुका है। इसके बाद 30 नवंबर को साल का चौथा चंद्रग्रहण होगा। अब 5 जुलाई को लगने वाला चंद्रग्रहण भी उपछाया चंद्रग्रहण होगा। इस ग्रहण की कुल अवधि लगभग तीन घंटे के आसपास रहेगी। जानिये इस चंद्रग्रहण के समय, उसके प्रभाव, सूतक काल के बारे में सारी बातें।

एक महीने के अंतराल में यह दूसरा चंद्रग्रहण है। 30 दिनों के अंदर दो या दो से ज्यादा ग्रहण का होना किसी भी दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता। हालांकि आधुनिक विज्ञान इसे एक सामान्य खगोलीय घटना की तरह देखता है पर ज्योतिष विज्ञान की अपनी मान्‍यता है। 5 जुलाई को यह घटना सूर्य और चंद्रमा के मध्य पृथ्वी के आ जाने पर होगी जिसके कारण चंद्रमा की छवि पृथ्वी की छाया पड़ने के कारण धूमिल होगी। यह उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। वर्ष 2020 में 4 उपछाया ग्रहण होंगे, जिसमें उपछाया चंद्रग्रहण पड़ेगा। इन ग्रहणों का भारत में कोई असर नहीं पड़ेगा। 10 जनवरी 2020 को लगा साल का पहला चंद्रग्रहण उपछाया था, जिसका कोई सूतक नहीं था, इसलिए मंदिरों के पट भी बंद नहीं हुए। आमतौर पर ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले से ही आरंभ हो जाता है लेकिन यह ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है, इसलिए भारत में इसका सूतक मान्‍य नहीं होगा।

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यह ग्रहण भारतीय समयानुसार यह ग्रहण सुबह 8 बजकर 36 मिनट पर आरंभ होगा और 11 बजकर 22 मिनट पर समाप्‍त होगा। समय की गणना स्थान के अनुसार एक 2 मिनट इधर उधर हो सकता है कहीं पर ग्रहण 8:37 पर कहीं पर 8:38 पर प्रारंभ हो सकता है। ग्रहण की उपछाया स्पर्श 8.37 तक होगा। परमग्रास चंद्र ग्रहण 9:59 पर होगा और उपछाया या अंतिम समय स्पर्श 11:21 पर होगा। यह ग्रहण 2 घंटे 48 मिनट 24 सेकंड तक ग्रहण रहेगा।

शास्त्रों के मतानुसार इसकी सूतक काल का प्रभाव भारत पर नहीं होगा पर जो लोग सूतक काल मानते हैं और ग्रहण के समय होने वाली सावधानियों का पालन करना चाहते हैं तो वे अपने इस निर्णय के लिए स्वतंत्र हैं। ग्रहण दक्षिण एशिया के कुछ हिस्‍सों में दिन के समय यूरोप अफ्रीका अफ़गानिस्तान, भूटान, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया चीन आदि देशों में दिखाई देगा। इसके बाद साल का चौथा उपछाया चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा। यह एशिया, आस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। इन सभी उप छाया ग्रहणों में सूतक, नियम आदि नहीं होंगे।

 

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