हर महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी या भैरवाष्टमी के रूप मनाया जाता है। इस बार ये व्रत 13 जून, शनिवार को है। इस व्रत में भगवान काल भैरव की विशेष उपासना की जाती है। शिव पुराण के अनुसार कालभैरव भगवान शिव का रौद्र रूप हैं। नारद पुराण के अनुसार हर तरह की बीमारियों और परेशानियों से बचने के लिए भगवान कालभैरव की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कालाष्टमी के दिन व्रत रखने और कुछ विशेष उपाय को करने से शुभ फल मिलते हैं। कालाष्टमी के दिन ये विशेष उपाय जरूर करने चाहिए।
कालाष्टमी के पावन दिन भैरव बाबा की पूजा करने से शुभ परिणाम मिलते हैं। ये दिन भैरव बाबा की पूजा का होता है, इस दिन श्री भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए। भैरव बाबा की पूजा करने से व्यक्ति रोगों से दूर रहता है।
कालाष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इस विधि से पूजन करने पर भगवान भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
कालाष्टमी के पावन दिन कुत्ते को भोजन कराना चाहिए। ऐसा करने से भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। भैरव बाबा का वाहन कुत्ता होता है, इसलिए इस दिन कुत्ते को भोजन कराने से विशेष लाभ होता है।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत करने से भैरव बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर संभव हो तो इस दिन उपवास भी रखना चाहिए। इस दिन व्रत रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
कालाष्टमी के पावन दिन मां दुर्गा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन भैरव बाबा के साथ मां दुर्गा की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कालाष्टमी के दिन व्रत रखने और भैरवनाथ की कथा सुनने से शुभ फल मिलते हैं। काल भैरव भगवान शिव के ही अवतार हैं, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कथा का श्रवण करना शुभ रहता है।
कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा को भोग लगाएं। आप अपनी इच्छानुसार भैरव बाबा को भोग लगा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भैरव बाबा को चने-चिरौंजी, पेड़े, काली उड़द और उड़द से बने मिष्ठान्न इमरती, दही बड़े, दूध और मेवा पसंद होते हैं।