अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीएसटी, दिवाला संहिता जैसे सुधारों की प्रशंसा की। चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात दशमलव तीन प्रतिशत रहने का अनुमान जताया।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के सुधारों की दुनिया भर में तारीफ होती रही है । इन सुधारों और नीतियों पर एक बार फिर से मुहर लगायी है अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने । साथ ही आईएमएफ ने इस साल और अगले साल भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ रही बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर रहने का अनुमान जताया है । बाली में आईएमएफ और विश्वबैंक की सालाना बैठक के दौरान जारी अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में आईएमएफ ने भारत की वृद्धि दर सात फीसदी से ज्यादा रहने का अनुमान लगाया है । रिपोर्ट में कहा गया है – ”भारत की आर्थिक वृद्धि 2018 में 7.3 प्रतिशत और 2019 में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ये 2017 के 6.7 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर से अधिक है। आईएमएफ के मुताबिक मध्यम अवधि में भारत की आर्थिक वृद्धि 7.75 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
IMF के मुताबिक कच्चा तेल महंगा होने और दुनिया के कई देशों की वित्तीय हालत बिगड़ने का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इसलिए अगले साल के लिए विकास दर अप्रैल के अनुमान में थोड़ी कमी की गई है फिर भी भारत की विकास दर दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज रहेगी। आईएमएफ का कहना है कि आर्थिक वृद्धि में यह तेजी नोटबंदी और जीएसटी लागू करने से लगे झटके के बाद बेहतर हुई स्थिति के चलते हुआ है। साथ ही निवेश और निजी उपभोग बढ़ने का भी असर पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि सभी अनुमान ठीक रहते हैं तो भारत फिर से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त कर सकता है।
चीन के मुकाबले भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018 में 0.7 प्रतिशत और 2019 में 1.2 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान है । साल 2017 में चीन दुनिया की सबसे तेज आर्थिक वृद्धि वाली बड़ी अर्थव्यवस्था थी। तब यह भारत से 0.2 प्रतिशत आगे थी। रिपोर्ट में चीन की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान अप्रैल के मुकाबले घटाया गया है। वर्ष 2017 में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत थी । 2018 में इसके 6.6 प्रतिशत और 2019 में 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
रिपोर्ट में भारत द्वारा हाल में किए गए आर्थिक सुधारों का भी जिक्र किया गया है। इसमें माल एवं सेवाकर (जीएसटी) और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता को लागू करना शामिल है। साथ ही आईएमएफ ने मुद्रास्फीति को लक्ष्य के भीतर बनाए रखने, विदेशी निवेश के उदारीकरण और कारोबार सुगमता के लिए उठाए गए केंद्र सरकार के कदमों की भी सराहना की है । विश्व बैंक ने इन सुधारों की दिशा बरकरार रखने का सुझाव दिया है ।