दूषित पानी को साफ करने के लिए आईआईटी मद्रास ने विकसित की नैनो टेक्नोलॉजी

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देश की एक बड़ी आबादी आर्सेनिक से दूषित पानी पीने को मजबूर है। लेकिन इस समस्या को दूर करने में आईआईटी के वैज्ञानिकों ने सफलता हासिल की है। इन वैज्ञानिकों ने नैनो टैक्नोलॉजी पर आधारित फिल्टर बनाने में सफलता हासिल की है, जो महज 3 पैसे में एक लीटर पानी को साफ कर सकता है। देश के 8 लाख से अधिक लोगों को फिलहाल अमृत नाम की इस तकनीक का फायदा मिल रहा है।

जल ही जीवन है…लेकिन भारत की एक बड़ी आबादी के लिए स्वच्छ पेयजल आज भी सपना ही है। देश के कई इलाके ऐसे हैं, जहां जल संसाधन आर्सेनिक से दूषित हैं। आर्सेनिक से दूषित पानी पीने से कई तरह की बीमारियां होने का ख़तरा रहता है। आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर टी. प्रदीप और उनकी टीम इस समस्या को दूर करने के लिए पिछले कई सालों से जुटी है। उनकी टीम ने नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित फिल्टर तैयार करने में सफलता हासिल की है, जिसका उपयोग देश के आर्सेनिक से प्रभावित इलाकों में किया जा रहा है।

देश के 21 राज्यों की 13 करोड़ से भी अधिक आबादी आर्सेनिक से दूषित पानी पीने को मजबूर है। उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, पंजाब और हरियाणा की तो 25 फीसदी से भी अधिक आबादी इस समस्या से प्रभावित है। ऐसे में नैनो टेक्नोलॉजी आधारित फिल्टर इन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है। फिलहाल देश के करीब डेढ़ हजार स्थानों पर अमृत तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जो पेय जल से आर्सेनिक हटाने में पूरी तरह प्रभावी रहा है।

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