राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की रूपरेखा’ पर 15वें वित्त आयोग की समिति की पहली बैठक इस ऑनलाइन बैठक का उद्देश्य उभरते राजकोषीय परिदृश्य का जायजा लेना और आगे की राह तय करना है
पंद्रहवें वित्त आयोग का एक विचारार्थ विषय (टीओआर) उच्च समावेशी विकास को बढ़ावा देते हुए ऋण एवं घाटे के उपयुक्त स्तरों का पालन करने की अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखकर केंद्र और राज्य सरकारों के ‘राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की रूपरेखा’ पर सिफारिशें पेश करना है। ये समानता, दक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होने चाहिए। इस टीओआर को ध्यान में रखते हुए 15वें वित्त आयोग ने 18 मार्च 2020 को सामान्य सरकार (जनरल गवर्नमेंट) के ‘राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की रूपरेखा’ की समीक्षा करने के लिए एक समिति का गठन किया। इस समिति का गठन 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन के सिंह की अध्यक्षता में किया गया।
वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार द्वारा पहले ही आवश्यक कदम उठाए जा चुके हैं। उपर्युक्त टीओआर के तहत 15वें वित्त आयोग को वर्ष 2021-22 से लेकर वर्ष 2025-26 तक की अवधि के लिए सामान्य सरकार (जनरल गवर्नमेंट) के ‘राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की रूपरेखा’ तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। हालांकि, यह कार्य महामारी फैलने से उत्पन्न अप्रत्याशित स्थिति और केंद्र एवं राज्य सरकारों पर संलग्न या सहवर्ती राजकोषीय बाध्यताओं के कारण जटिल हो गया है। इस स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को पहले से ही उपलब्ध 3 प्रतिशत के अलावा भी जीडीपी के 2 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त उधारी लेने की अनुमति दे दी है।
उभरते राजकोषीय परिदृश्यों का जायजा लेने और आगे की राह तय करने के लिए उपर्युक्त समिति की एक ऑनलाइन बैठक कल के लिए निर्धारित की गई है। इस बैठक में श्री एन के सिंह (अध्यक्ष); श्री अजय नारायण झा एवं डॉ. अनूप सिंह (15वें वित्त आयोग के सदस्य); डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन, मुख्य आर्थिक सलाहकार; सुश्री सोमा रॉय बर्मन, लेखा महानियंत्रक; श्री रजत कुमार मिश्रा, वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव; श्री एस कृष्णन, तमिलनाडु सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव; श्री अनिरुद्ध तिवारी, पंजाब सरकार के प्रधान सचिव और डॉ. सज्जिद जेड चिनॉय एवं डॉ. प्राची मिश्रा (प्रख्यात विश्लेषक) के भाग लेने की संभावना है।
15वें वित्त आयोग की स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित अपने उच्च स्तरीय समूह के साथ बैठक
5वें वित्त आयोग द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित उच्च स्तरीय समूह (एचएलजी) का गठन मई 2018 में एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता में किया गया था और इसमें स्वासथ्य क्षेत्र के प्रमुख व्यवसायी शामिल थे। इस समूह ने अगस्त 2019 में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी थी और उसकी कुछ प्रमुख सिफारिशों को 15वें वित्त आयोग की वर्ष 2020-21की प्रथम रिपोर्ट में शामिल किया गया था।
15 वें वित्त आयोग ने स्वास्थ्य क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए वर्तमान में जारी कोविड -19 संकट के कारण उपजे हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर इस एचएलजी की फिर से आयोजित करने का फैसला किया है।
एचएलजी को वर्तमान में जारी कोविड-19 महामारी के संदर्भ में अपनी मूल सिफारिशों की समीक्षा करने को कहा गया है। स्वास्थ्य इन्फ्रा-गैप (अस्पताल की बुनियादी सुविधाओंचिकित्सा उपकरण, पीपीई, आदि) के संबंध में 2021-22 से 2025-26 के लिए स्वास्थ्य संबंधी जनशक्ति (चिकित्सा और अर्द्धचिकित्सा) की जरूरतों और संसाधनों की अनुमानित आवश्यकता का नए सिरे से आकलन करने की तत्काल आवश्यकता है। इसके अलावा, निजी क्षेत्र की संवर्धित भूमिका सहित इन आवश्यकताओं के लिए धन उपलब्ध कराने संबंधी तंत्र की गंभीर रूप से जांच किए जाने की आवश्यकता होगी।
इस समूह में एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया; नारायण हेल्थ सिटी के अध्यक्ष डॉ. देवी शेट्टी; महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. दिलीप गोविंद म्हैसेकर; मेदांता सिटी के डॉ. नरेश त्रेहन; कार्डियो थोरैसिक सर्जरी,आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और एचओडी डॉ. भबतोष बिस्वाशऔर पब्लिक हेल्थ फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी पहले से शामिल थे और अब इसमें इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस), नई दिल्ली के निदेशक डॉ. एस.के. सरीनऔर महाजन इमेजिंग, नई दिल्ली के संस्थापक डॉ. हर्ष महाजनको भी शामिल किया गया है।
कल की बैठक में ब्रुकिंग्स इंडिया में अनुसंधानके निदेशक प्रो. शमिका रवि द्वारा ‘मॉडलिंग द पाथ ऑफ द पैन्डेमिक ऑन पैन्डेमिक बिेहेवीयर’ विषय पर एक प्रस्तुति भी पेश की जाएगी।
इस बैठक में सांसद एवं वित्त संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष श्री जयंत सिन्हा के भी वित्त आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भाग लेने की संभावना है।
आयोग ने वर्तमान में जारी कोविड-19 संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार के कुछ दूरगामी प्रयासों को नोट किया है। राज्यों के लिए घोषित 15000 करोड़ रुपये के पैकेज से जमीनी स्तर पर निवेश बढ़ेगा और ब्लॉक स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं की स्थापना के साथ ही साथ सभी जिला अस्पतालों में संक्रामक रोग ब्लॉक की स्थापना होगी। आवश्यक उपायों की श्रृंखला में ये शुरुआती महत्वपूर्ण कदम हैं।
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