प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और वृद्धावस्था आय सुरक्षा को समर्थ बनाने के लिए निम्नलिखित को अपनी स्वीकृति दे दी है
(ए) 31 मार्च 2020 से अगले तीन वर्षों अर्थात 31 मार्च 2023 तक प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) का विस्तार।
(बी) प्रारंभ में 2020-21 के लिए प्रतिवर्ष 7.40 प्रतिशत की सुनिश्चित प्रतिफल दर और इसके पश्चात प्रत्येक वर्ष पुन: समायोजित की जाएगी।
(सी) वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) की संशोधित प्रतिफल दर के अनुरूप वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल से प्रभावी वार्षिक समायोजित सुनिश्चित ब्याज की दर किसी भी बिंदु पर योजना के नवीन मूल्यांकन के साथ 7.75 प्रतिशत तक होगी।
(डी) योजना के अंतर्गत प्रतिफल की गारंटीकृत दर और एलआईसी द्वारा प्रतिफल की बाजार दर के बीच अंतर के कारण होने वाले व्यय के लिए अनुमोदन।
(ई) नई जारी पालिसियों के संबंध में योजना के प्रथम वर्ष के कोषों के वित्तीय प्रबंधन व्ययों को प्रतिवर्ष 0.5 प्रतिशत और इसके बाद दूसरे वर्ष से अगले 9 वर्षों के लिए प्रतिवर्ष 0.3 प्रतिशत तक सीमित करना।
(एफ) प्रत्येक वित्तीय वर्ष क पर प्रतिफल की वार्षिक समायोजित दर की स्वीकृति के लिए वित्त मंत्री को अधिकार दिए गए हैं।
(जी) इस योजना की अन्य नियम एवं शर्ते समान रहेंगी।
इस योजना के अंतर्गत, प्रति वर्ष 12,000 रूपए की पेंशन के लिए 1,56,658 रूपए और प्रति माह 1000 रूपए की न्यूनतम पेंशन धनराशि प्राप्त करने के लिए 1,62,162 रूपए तक के न्यूनतम निवेश तक संशोधित किया गया है।
वित्तीय निहितार्थ:
सरकार का वित्तीय दायित्व वर्ष 2020-21 के लिए प्रारंभिक तौर पर प्रतिवर्ष 7.40 प्रतिशत की सुनिश्चित वापसी और एलआईसी द्वारा तय बाजार प्रतिफल के बीच अंतर के विस्तार तक सीमित है और इसके बाद एससीएसएस के अनुरूप प्रतिवर्ष निर्धारित किया जाएगा। इस योजना के वित्तीय प्रबंधन व्ययों प्रथम वर्ष के लिए प्रबंधन के अंतर्तग परिसम्पत्तियों के 0.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष और इसके बाद दूसरे वर्ष से अगले 9 वर्षों के लिए प्रतिवर्ष 0.3 प्रतिशत तक सीमित किया गया है। इसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में 829 करोड़ रूपए और अंतिम वित्तीय वर्ष 2032-33 में 264 करोड़ रूपए का अनुमानित व्यय होगा। वास्तविक आधार पर वार्षिक भुगतान के लिए सब्सिडी प्रतिपूर्ति के 614 करोड़ रूपए होने का उम्मीद है। हालांकि वास्तविक ब्याज अंतर (सब्सिडी) नई जारी पालिसियों की संख्या में शर्तों के वास्तविक अनुभव पर निर्भर होगी।
पीएमवीवीवाई वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक समाजिक सुरक्षा योजना है जो क्रय मूल्य/वार्षिक अंशदान पर सुनिश्चित रिटर्न के आधार पर उनको न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित कराने की मंशा रखती है।
कैबिनेट ने “सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप देने की योजना” को स्वीकृति दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 10,000 हजार करोड़ रूपए के परिव्यय के साथ अखिल भारतीय स्तर पर असंगठित क्षेत्र के लिए एक नई केन्द्र प्रायोजित “सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप देने की योजना (एफएमई)” को स्वीकृति दे दी है। इस व्यय को 60:40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा।
योजना का विवरण:
उद्देश्य:
- सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के द्वारा वित्त अधिगम्यता में वृद्धि
- लक्ष्य उद्यमों के राजस्व में वृद्धि
- खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का अनुपालन
- समर्थन प्रणालियों की क्षमता को सुदृढ़ बनाना
- असंगठित क्षेत्र से औपचारिक क्षेत्र में पारगमन
- महिला उद्यमियों और आकांक्षापूर्ण जिलों पर विशेष ध्यान
- अपशिष्ट से धन अर्जन गतिविधियों को प्रोत्साहन
- जनजातीय जिलों लघु वन उत्पाद पर ध्यान
मुख्य विशेषताऐं:
- केन्द्र प्रायोजित योजना। व्यय को 60:40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा।
- 2,00,000 सूक्ष्म-उद्यमों को ऋण से जुड़ी सब्सिडी के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी।
- योजना को 2020-21 से 2024-25 तक के लिए 5 वर्ष की अवधि हेतु कार्यान्वित किया जाएगा।
- समूह दृष्टिकोण
- खराब होने वाली वस्तुओं पर विशेष ध्यान
व्यक्तिगत सूक्ष्म इकाईयों को सहायता:
- 10 लाख तक के लागत वाली वैध परियोजना के सूक्ष्म उद्यमों को 35 प्रतिशत की दर से ऋण से जुड़ी सब्सिडी मिलेगी।
- लाभार्थी का योगदान न्यनतम 10 प्रतिशत और ऋण का शेष होगा।
एफपीओ/एसएचजी/क़ोओपरेटिव को सहायता:
- कार्यशील पूँजी और छोटे उपकरणों के लिए सदस्यों हेतु ऋण के लिए एसएचजी को प्रारंभिक पूँजी
- अगले/पिछले लिकेंज, सामान्य बुनियादी ढ़ाचे, पैकेजिंग, विपणन और ब्रांडिंग के लिए अनुदान
- कौशल प्रशिक्षण एवं हैंडहोल्डिंग समर्थन
- ऋण से जुड़ी पूँजी सब्सिडी
कार्यान्वयन कार्यक्रम:
- योजना को अखिल भारतीय स्तर पर प्रारंभ किया जाएगा।
- ऋण से जुड़ी सहायता सब्सिडी 2,00,000 इकाईयों को प्रदान की जाएगी।
- कार्यशील पूँजी और छोटे उपकरणों के लिए सदस्यों हेतु ऋण के लिए एसएचजी को (4 लाख रूपए प्रति एसएचजी) की प्रारंभिक पूँजी दी जाएगी।
- अगले/पिछले लिकेंज, सामान्य बुनियादी ढ़ाचे, पैकेजिंग, विपणन और ब्रांडिंग के लिए एफपीओ को अनुदान प्रदान किया जाएगा।
प्रशासनिक और कार्यान्वयन तंत्र
- इस योजना की निगरानी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रिस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (आईएमईसी) के द्वारा केन्द के स्तर पर की जाएगी।
- मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य/संघ शासित प्रदेशों की एक समिति एसएचजी/ एफपीओ/क़ोओपरेटिव के द्वारा नई इकाईयों की स्थापना और सूक्ष्म इकाईयों के विस्तार के लिए प्रस्तावों की निगरानी और अनुमति/अनुमोदन करेगी।
- राज्य/संघ शासित प्रदेश इस योजना के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों को शामिल करते हुए वार्षिक कार्ययोजना तैयार करेंगे।
- इस कार्यक्रम में तीसरे पक्ष का एक मूल्याँकन और मध्यावधि समीक्षा तंत्र भी बनाया जाएगा।
राज्य/संघ शासित प्रदेश नोडल विभाग और एजेन्सी
- राज्य/संघ शासित प्रदेश इस योजना के कार्यान्वयन के लिए एक नोडल विभाग और एजेन्सी को अधिसूचित करेगें।
- राज्य/संघ शासित प्रदेश नोडल एजेंसी (एसएनए) राज्य/संघ शासित प्रदेशों में इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए उत्तरदायी होने के साथ-साथ राज्य/संघ शासित प्रदेश स्तर उन्नयन योजना की तैयारी और प्रमाणीकरण, समूह विकास योजना, इकाईयों और समूहों आदि को सहायता प्रदान करते हुए जिला, क्षेत्रीय स्तर पर स्रोत समूह के कार्य की निगरानी करेगी।
राष्ट्रीय पोर्टल और एमआईएस
- एक राष्ट्रीय पोर्टल की स्थापना की जाएगी जहाँ आवेदक/ व्यक्तिगत उद्यमी इस योजना में शामिल होने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- योजना की सभी गतिविधियों को राष्ट्रीय पोर्टल पर संचालित किया जाएगा।
समाभिरूपता प्रारूप
- भारत सरकार और राज्य सरकारों के द्वारा कार्यान्वयन के अंतर्गत मौजूदा योजनाओं से सहायता भी इस योजना के अंतर्गत ली जा सकेगी।
- यह योजना उन अंतरालों को भरने का कार्य करेगी जहाँ अन्य स्रोतों खासकर पूँजी निवेश, हैंडहोल्डिंग सहायता, प्रशिक्षण और सामान्य बुनियादी ढ़ांचे के लिए सहायता उपलब्ध नहीं है।
प्रभाव और रोजगार सृजन:
- करीब आठ लाख सूक्ष्म-उद्यम सूचना, बेहतर विवरण और औपचारिक पहुँच के माध्यम से लाभान्वित होंगे।
- विस्तार और उन्नयन के लिए 2,00,000 सूक्ष्म उद्यमों तक ऋण से जुड़ी सब्सिडी और हैंडहोल्डिंग सहायता को बढ़ाया जाएगा।
- यह उन्हें गठित, विकसित और प्रतिस्पर्धी बनने में समर्थ बनाएगा।
- इस परियोजना से नौ लाख कुशल और अल्प-कुशल रोजगारों के सृजन की संभावना है।
- इस योजना में आकांक्षापूर्ण जिलों में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों, महिला उद्यमियों और उद्यमियों को ऋण तक पहुँच बढ़ाया जाना शामिल है।
- संगठित बाजार के साथ बेहतर समेकन।
- सोर्टिग, ग्रेडिंग, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, भंडारण आदि जैसी समान सेवाओं को पहुँच में वृद्धि।
पृष्ठभूमि:
- करीब 25 लाख अपंजीकृत खाद्य प्रसंस्करण उद्यम है जो इस क्षेत्र का 98 प्रतिशत है और ये असंगठित और अनियमित हैं। इन इकाईयों का करीब 68 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है और इनमें से 80 प्रतिशत परिवार आधारित उद्यम हैं।
- यह क्षेत्र बहुत सी चुनौतियों जैसे ऋण तक पहुँच न होना, संस्थागत ऋणों की ऊँची लागत, अत्याधुनिक तकनीक की कमी, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के साथ जुड़ने की असक्षमता और स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों के साथ अनुपालन का सामना करता है।
- इस क्षेत्र को मजबूत करने से व्यर्थ नुकसान में कमी, खेती से इतर रोजगार सृजन अवसर और किसानों की आय को दुगना करने के सरकार के लक्ष्य तक पहुँचने में महत्वपूर्ण रूप से मदद मिलेगी।
मौजूदा आंशिक ऋण गारंटी योजना में संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मौजूदा आंशिक ऋण गारंटी योजना में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा माइक्रो फाइनेंस कंपनियों, सार्वजनिक बैंकों, आवास वित्त कंपनियों और गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा एक वर्ष तक की परिपक्वता अवधि वाले उच्च रेटिंग तथा बिना रेटिंग वाले साख पत्र खरीदने पर पहली दफा होने वाले 20 प्रतिशत तक के नुकसान की भरपाई की गांरटी की व्यवस्था की गई है।
मंत्रिमंडल ने मौजूदा पीसीजीएस के तहत समूह में साथ लाई गई परिसंपत्तियों की खरीद पर संशोधनों को भी मंजूरी दे दी, जिससे इसकी कवरेज निम्नानुसार बढ़ गई है-
· इस योजना के दायरे में वे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी)/आवास वित्त कंपनियां (एचएफसी) आएंगी, जो 01 अगस्त, 2018 से पहले की एक वर्ष की अवधि के दौरान संभवत: ‘एसएमए-1’ श्रेणी में शामिल हैं। इससे पहले ‘एसएमए-2’ श्रेणी में शामिल कंपनियां भी इसके दायरे में रखी गई थीं।
· गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों/आवास वित्त कंपनियों के शुद्ध लाभ के मानकों में भी बदलाव किया गया है। अब योजना के दायरे में ऐसी कंपनियां आएंगी जिन्होंने वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में से कम से कम एक वित्तीय वर्ष में लाभ अर्जित किया हो। इससे पहले गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों/आवास वित्त कंपनियों को वित्त वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में से किसी एक वित्तीय वर्ष में लाभ अर्जित किया होना चाहिए था।
· परिसंपत्तियों के शुरू होने की तारीख को लेकर भी संशोधनों के तहत कुछ रियायतें दी गई हैं। ये रियायत उन परिसंपत्तियों के मामले में होंगी, जो इनीशियल पूल रेटिंग के कम से कम छह महीने पहले अस्तित्व में आई हों। इसके पहले 31 मार्च 2019 तक अस्तित्व में आई परिसंपत्तियों को ही ऐसी रियायत देने का प्रावधान था।
· समूह में साथ लाई गई परिसंपत्तियों की खरीद योजना की अवधि को 30 जून 2020 से बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तक कर दिया गया है।
मौजूदा आंशिक ऋण गांरटी योजना के तहत वित्तीय दृष्टि से मज़बूत एनबीएफसी की कुल एक लाख करोड़ रुपये मूल्य की उच्च रेटिंग वाली संयोजित परिसंपत्तियों की खरीद के लिये सरकार द्वारा 10 प्रतिशत तक के प्रथम नुकसान के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एकबारगी 6 माह की आंशिक ऋण गारंटी देने की व्यवस्था है। कोविड के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से इन कंपनियों का व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका अदा करने वाली इन वित्तीय कंपनियों को ऐसे समय में सहारे की जरुरत है इसलिए सरकार ने आंशिक ऋण गांरटी योजना में संशोधन को मंजूरी दी है।
कार्यान्वन संबंधी कार्यकम :
भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित यह एकमुश्त आंशिक ऋण गारंटी की यह विंडो एक समूह में साथ लाई गई परिसंपत्तियों की खरीद के लिए 31 मार्च, 2021 तक और बॉन्ड/सीपी की खरीद के लिए इस योजना के तहत निर्दिष्ट अवधि या ऐसी तारीख तक के लिए खुली रहेगी जिसमें 10,000 करोड़ रुपए मूल्य की गारंटी, जिसके तहत एक समूह में साथ लाई गई परिसंपत्ति और बॉन्ड/सीपी की खरीद की गारंटी शामिल है, सरकार द्वारा प्रदान की जाती है, इसमें से जो भी पहले हो।
कोविड के कारण गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनियों और एचएफसी की परिसंपत्तियों की साख बुरी तरह प्रभावित हुई है। इससे ऋण कारोबार भी मंद हुआ है। इसकी सबसे ज्यादा मार सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्योगों पर पड़ी है जो इन कपंनियों से कर्ज लेते हैं।
मौजूदा परिदृश्य में सरकार ने इन कंपनियों के लिए आंशिक ऋण गांरटी योजना में संशोधन कर बहुत राहत पहुंचाने का काम किया है।
नीली क्रांति के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और जवाबदेह विकास के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को कैबिनेट की मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है। योजना का उद्देश्य नीली क्रांति के माध्यम से देश में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और जवाबदेह विकास को सुनिश्चित करना है। कुल 20050 करोड रुपए की अनुमानित लागत वाली यहयोजना, केन्द्रीय येाजना और केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू की जाएगी। इसमें केन्द्र की हिस्सेदारी 9407 करोड रूपए, राज्यों की हिस्सेदारी 4880 करोड रुपए तथा लाभार्थियों की हिस्सेदारी 5763 करोड रुपए होगी।
इस योजना को वित्त वर्ष 2020 21 से 2024 25 तक पांच वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा।
योजना के दो घटक होंगे। पहला केन्द्रीय योजना और दूसरा केन्द्र प्रायोजित योजना।
केन्द्रीय योजना के दो वर्ग होंगे एक लाभार्थी वर्ग और दूसरा गैर लाभार्थी वर्ग। केन्द्र प्रायोजित योजना को तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है
- उत्पादन और उत्पादकता को प्रोत्साहन
- अवसंरचना और उत्पादन बाद प्रंबधन
- मत्स्य पालन प्रबंधन और नियामक फ्रेमवर्क
योजना का वित्त पोषण
केन्द्रीय परियोजना के लिए 100 प्रतिशत वित्तीय जरुरतों की पूर्ति केन्द्र की ओर की जाएगी। इसमें लाभार्थी वर्ग से जुडी गतिविधियों को चलाने का काम पूरी तरह से राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड सहित केन्द्र सरकार का होगा। इसमें सामान्य लाभार्थियों वाली परियोजना का 40 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति तथा महिलाओं से जुडी परियोजना का 60 प्रतिषण वित्त पोषण केन्द्र सरकार करेगी।
केन्द्र प्रायोजित योजना का वित्त पोषण
इस योजना के तहत गैर लाभार्थियों से जुडी गतिविधियों का पूरा खर्च राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारें मिलकर उठाएंगी।
- इसके तहत पूर्वोत्तर तथा हिमालयी क्षेत्र वाले राज्यों में लागू की जाने वाली ऐसी परियेाजना का 90 फीसदी खर्च केन्द्र और 10 फीसदी खर्च राज्य सरकारें वहन करेंगी।
- अन्य राज्यों के मामले में केन्द्र और संबधित राज्यों की हिस्सेदारी क्रमश 60 और 40 प्रतिशत होगी।
- केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू की जाने वाली ऐसी योजनाओं का सौ फीसदी वित्त पोषण केन्द्र की ओर से किया जाएगा
गैर लाभार्थी वर्ग की योजना का वित्त पोषण
इस वर्ग की योजना का वित्त पोषण पूरी तरह से संबधित राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की ओर से किया जाएगा। इसमें सामान्य श्रेणी वाली परियोजना में सरकार, राज्य और केन्द्रशासित प्रदेशों की कुल हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी जबकि महिलाओं,अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से जुडी परियोजना के लिए सरकार की ओर से 60 फीसदी की आर्थिक मदद दी जाएगी।
- पूर्वोत्तर तथा हिमालयी क्षेत्र के राज्यों में ऐसी परियोजनाओं के लिए सरकार की ओर से90 प्रतिशत वित्त पोषण किया जाएगा जबकि राज्यों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत होगी।
- अन्य राज्यों के लिए यह क्रमश 60 और 40 प्रतिशत होगी
- केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए केन्द्र की ओर से 100 फीसदी मदद दी जाएगी
लाभ
- मत्स्य पालन क्षेत्र की गंभीर कमियो को दूर करते हुए उसकी क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल होगा
- मत्स्य पालन क्षेत्र में 9 प्रतिशत की सालाना दर से वृद्धि के साथ 2024 25 तक 22 मिलियन मेट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा।
- मत्स्य पालन के लिए गुणवत्ता युक्त बीज हासिल करने तथा मछली पालन के लिए बेहतर जलीय प्रबंधन को बढावा मिलेगा।
- मछली पालन के लिए आवश्यक अवसंरचना और मजबूत मूल्य श्रृंखला विकसित की जा सकेगी।
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन से सीधे या परोक्ष रूप से जुडे हुए सभी लोगों के लिए रोजगार और आय के बेहतर अवसर बनेंगे।
- मछली पालन क्षेत्र में निवेश आकर्शित करने में मदद मिलेगी जिससे मछली उत्पाद बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे।
- वर्ष 2024 तक मछली पालन से जुडे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी
- मछली पालन क्षेत्र तथा इससे जुडे किसानों और श्रमिकों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मिलेगी