भगवान परशुराम और क्षत्रिय भगवान परशुराम का जन्म सप्तऋषि में प्रथम भृगुश्रेष्ट महर्षि जमदग्नि के द्वरा पुत्रेष्टि यज्ञ के माध्यम से देवराज इंद्रा के आशीर्वाद से माँ रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीय को हुआ था जिसे हम अक्षय तृतीय के नाम से भी जानते हें | पिता भृगु जमदग्नि द्वारा सम्पूर्ण नामकरण संस्कार बाद उनका पुत्र राम पिता की आज्ञा से शिवजी की तपस्या में लींन हो गये भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनको परशु अर्थात (फरसा) प्रदान किया जिसके कारण उनका नाम राम से परशुराम पड़ा | वे विष्णु के छठे अवतार थे और बल ब्रह्मचारी थे | उनका जन्म सतयुग में हुआ था हजारो वर्ष की तपस्या के बाद वे शिवजी से परशु प्राप्त कर और युद्ध कोशल में निपूर्ण होकर श्रेष्ठ योधा बने | साथ ही उन्होंने चारो वैद पुराणों तथा उपनिषदों का भी ज्ञान प्राप्त कर अष्टसिद्धि प्राप्त की इसलिए धरती उनका रथ हें गति अश्व हें पवन सारथी हें वेदमाता गायत्री और सावित्री सरस्वती उनका कवच हें |
ब्राह्मण भगवान परशुराम और क्षत्रिय भगवान परशुराम
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पृथ्वी के “प्रथम शासक” आदि गौड़ या गौड़ ब्राह्मण तथा इतिहास