अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से करीब 850 किलोमीटर की दूरी पर म्यांमार की सीमा से लगे चांगलाग जिले को कुछ वर्ष पहले तक बहुत पिछडा और दुर्गम माना जाता था। इसका प्रमुख कारण था अच्छे संपर्क मार्गों का न होना। अब सड़क सम्पर्क को बढ़ावा देने और पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने की योजनाओं की बदौलत स्थिति में काफ़ी बदलाव आया है।
चांगलांग जिले में मौसम के अनुकूल अच्छी सडक बन जाने से जहाँ एक तरफ आम नागरिकों को आवागमन में सुविधा हुई है, वहीं दूसरी तरफ पडोसी राज्यों और जिलों के बीच कारोबारी गतिविधियाँ भी तेजी से बढ रही है। इससे कृषि एवं बागवानी पर निर्भर किसानों को भी लाभ मिला है।
सड़कों के अभाव में बीमार लोगों को पडोसी जिलों के अस्पतालों तक पहुँचाना बडी चुनौती थी, पर अब चांगलांग के राजमार्ग से जुडने से बहुत सी समस्याएँ हल हो गयी है। सड़क सम्पर्क सुधरने से युवाओं के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई है, क्योंकि उनके लिए नए अवसरों के भी द्वार खुले हैं।
विकास परियोजनाओं को गुणवत्ता के साथ समय पर पूरा करने से इसका लाभ समाज के सभी वर्गों को तो मिलता ही है, इसके अलावा इन इलाकों मे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होने लगते हैं। चांगलांग जिला भी इसी का एक सफल उदाहरण है।