दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में पहले के मुकाबले सुधार हुआ है और अब यह ‘बेहद खराब’ से ‘खराब’ श्रेणी में आ गई है हालांकि ये आशंका भी जताई गई है कि आने वाले दिनों में गुणवत्ता में व्यापक गिरावट हो सकती है और ये ‘गंभीर’ श्रेणी में जा सकती है।
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में पहले के मुकाबले सुधार हुआ है और अब यह ‘बेहद खराब’ से ‘खराब’ श्रेणी में आ गई है हालांकि ये आशंका भी जताई गई है कि आने वाले दिनों में गुणवत्ता में व्यापक गिरावट हो सकती है और ये ‘गंभीर’ श्रेणी में जा सकती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कल शाम को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 272 दर्ज किया। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’ और 201 से 300 के बीच ‘खराब’ माना जाता है। फरीदाबाद और गुड़गांव में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ रही जबकि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी यह ‘खराब’ ही दर्ज की गई। गाजियाबाद में इसे ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लाभार्थियों का आंकड़ा पहुंचा एक लाख
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लागू होने के एक महीने के भीतर ही एक लाख लोग इसका लाभ उठा चुके है. एक लाखवां लाभार्थी मध्य प्रदेश के रीवा से है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि अब तक इस योजना से चौदह हजार से ज्यादा अस्पताल जुड़ चुके हैं.
46 साल का मध्य प्रदेश के रीवा के रहने वाले एक शख्स बना प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का एक लाखवां लाभार्थी. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लागू होने के महज एक महीने के भीतर ही एक लाख लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं. अब तक देश भर के चौदह हजार अस्पताल इस योजना से जुड़ चुके हैं.
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लोग छोटी और बड़ी सभी तरह की बीमारियों के इलाज का लाभ उठा रहे है. योजना के तहत सरकारी और चुने हुए निजी अस्पताल में इलाज की सुविधा मिल रही है. ये पूरी तरह से कैशलेश है, यानि अगर परिवार का कोई सदस्य बीमार होता है तो वो सीधे अस्पताल जाकर इलाज करा सकता है. उसे कोई पैसा नहीं देना पड़ेगा. इस योजना से जुड़ी किसी भी तरह की सूचना के लिए टोल फ्री नंबर 14555 पर सीधे बात कर सकते हैं.
इस योजना के तहत करीब 50 करोड़ लोगों को सालाना पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा कवर मिल रहा है. चाहे परिवार का आकार कुछ भी हो. योजना के तहत मरीजों की मदद करने के लिए हर अस्पताल में आरोग्य मित्र हैं, जो 24 घंटे अस्पताल में तैनात रहते हैं, ताकि मरीज को किसी तरह की परेशानी न हो.