सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के धार जिले में विवादित भोजशाला और कमाल मौला मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। अदालत के आदेश से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण-एएसआई धार जिले के इस परिसर में खुदाई कर रहा है।
न्यायामूर्ति ऋषिकेश रॉय और पी के मिश्रा की खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि एएसआई के सर्वेक्षण के परिणाम के आधार पर कोई भी कार्रवाई अदालत की अनुमति के बिना नहीं की जा सकती। खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया की विवादित स्थल पर खुदाई इस तरह से नहीं होनी चाहिए कि इसकी मूल संरचना में कोई बदलाव आ जाए।
इसके अतिरिक्त अदालत ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर भी नोटिस जारी किया है जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा एएसआई को विवादित स्थल भोजशाला और कमाल मौला मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था।
हिन्दू एएसआई द्वारा संरक्षित 11वीं सदी के स्मारक भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानते हैं। जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। माना जाता है कि राजा भोज ने 1034 में वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। हिन्दू समुदाय का कहना है कि अंग्रेज 1875 में इस प्रतिमा को लंदन ले गये। 7 अप्रैल 2003 में एएसआई द्वारा कराए गये समझौते के अनुसार मुस्लिम समुदाय शुक्रवार को इस परिसर में नमाज अदा करता है जबकि हिन्दू मंगलवार को इसी परिसर में पूजा करते हैं।