भारत सरकार ने देश में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बिजली की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विद्युत (देर से भुगतान अधिभार और संबंधित मामले) नियम 2022 में संशोधन किया है। संशोधनों से सभी उपभोक्ताओं के लिए बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता में वृद्धि होगी।
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने संशोधनों के बारे में कहा कि एक महत्वपूर्ण संशोधन जो किया गया है वह बिना उपयोग की गई बिजली से संबंधित है जो घोषित उत्पादन क्षमता के भीतर है लेकिन वितरण कंपनियों द्वारा अपेक्षित नहीं है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि कुछ बिजली उत्पादक इस बिना उपयोग की गई बिजली को बाजार में प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय स्तर पर बिना उपयोग की गई बिजली की क्षमता बढ रही है।
इस समस्या का समाधान करने और उपलब्ध बिजली के उपयोग को अनुकूलित करने के लिए, बिजली उत्पादक जो अपनी अतिरिक्त बिजली की पेशकश नहीं करते हैं, वे अब उस बिना उपयोग की गई बिजली की मात्रा के अनुरूप क्षमता या निश्चित शुल्क का दावा करने के पात्र नहीं होंगे। इसके अतिरिक्त, इस अधिशेष बिजली को ऊर्जा शुल्क और लागू पारेषण शुल्क के 120 प्रतिशत से अधिक कीमत पर ऊर्जा विनिमय में बिक्री के लिए पेश नहीं किया जा सकता है। इससे अतिरिक्त बिजली खरीदे जाने और उपयोग किये जाने की संभावना बढ़ जायेगी।
इसके अलावा, राष्ट्रीय पावर ग्रिड तक पहुंच से संबंधित वैधानिक प्रावधानों के साथ नियमों को सम्मिलित करने के लिए संशोधन किए गए हैं। ये संशोधन भुगतान चूक के कारण पहुंच में कटौती का सामना करने वाली वितरण कंपनियों को अपना बकाया भुगतान करने के बाद राष्ट्रीय ग्रिड तक पहुंच की त्वरित बहाली की सुविधा प्रदान करते हैं।
विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि विद्युत (देर से भुगतान अधिभार और संबंधित मामले) नियम मुख्य रूप से उत्पादन कंपनियों और पारेषण कंपनियों द्वारा सामना की जाने वाली नकदी प्रवाह चुनौतियों से निपटने और बिजली क्षेत्र में समय पर भुगतान को बढ़ावा देने के लिए 2022 में पेश किए गए थे। उनकी अधिसूचना के बाद से, बकाया राशि की वसूली में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। अधिकांश वितरण कंपनियां अब नियमित भुगतान कार्यक्रम का पालन कर रही हैं। कुल अवैतनिक बिल जून 2022 में लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये से फरवरी 2024 में लगभग 48,000 करोड़ रुपये से कम हो गए हैं।