विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भारत और जापान के बीच संबंधों की सराहना करते हुए आज कहा कि दोनों देशों के बीच वैश्विक व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने की विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी है।
डॉ. जयशंकर ने जापान के टोक्यो में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित रायसीना गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अल्पविकसित देशों की आवाज के रूप में, भारत अपनी जिम्मेदारी को समझता है और इसी के तहत अलग-अलग महाद्वीपों के 78 देशों में विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
डॉ. जयशंकर ने लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर यमन के हौथी संगठन के हाल के हमलों का उल्लेख करते हुए कहा कि समुद्री सुरक्षा गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने व्यापक क्षेत्र के लाभ के लिए दोनों देशों की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने का आह्वान किया।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अपने पूर्व और पश्चिम क्षेत्र में दोनों ओर प्रमुख गलियारों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि पारदर्शी और परस्पर संपर्क की जरूरत पर दोनों देशों के विचार समान हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि स्वतंत्र, खुली, पारदर्शी और नियम-आधारित व्यवस्था के पक्ष में संतुलन दोनों देशों के साझा हित में है।
डॉ. जयशंकर जापान के विदेश मंत्री योको कामिकावा के साथ भारत-जापान विदेश मंत्री स्तर की रणनीतिक वार्ता में भाग लेने के लिए टोक्यो की दो दिन की यात्रा पर हैं। विदेश मंत्री दक्षिण कोरिया की दो दिन की यात्रा संपन्न करने के बाद जापान पहुंचे हैं। कोरिया में अपने प्रवास के दौरान उन्होंने शीर्ष नेताओं से मुलाकात की।