वित्त वर्ष 2024, लगातार तीसरा ऐसा वर्ष है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था में सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की जा रही है, जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था तीन प्रतिशत से अधिक की दर से विकास के लिए संघर्षरत है। आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से जारी भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा के अनुसार संतुलित आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता जलवायु परिवर्तन संबंधी आवश्यकताओं, लचीलेपन और कार्बन उत्सर्जन से संबंधित समस्याओं से निपटने के संबंध में निवेश के लिए संसाधन का सृजन कर रही है।
समीक्षा में भारतीय वित्तीय क्षेत्र की सेहत अच्छी रहने की उम्मीद जतायी गई है और कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र में पूंजी निवेश पिछले 10 साल में काफी बढ़ा है। रिपोर्ट में इस बात पर का भी उल्लेख किया गया है कि 2014 से लागू किये गये संरचनात्मक सुधारों ने व्यापक आर्थिक आधार को मजबूत किया है।
रिपोर्ट में रोजगार, व्यवसाय में आसानी, कृषि, ई-कामर्स और जलवायु परिवर्तन संबंधी क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि महिलाओं के नेतृत्व में महत्वपूर्ण विकास हुआ है और प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत बैंको में खाता खुलवाने वाली महिलाओं की संख्या 2015-16 के 53 प्रतिशत की तुलना में 2019-21 में बढ़कर 78.6 प्रतिशत हो गई है। यह भी कहा गया है कि महिला श्रमिक बलों की भागीदारी 2017-18 के 23.3 प्रतिशत की तुलना में 2022-23 में बढ़कर 37 प्रतिशत हो गई है।
महिलाओं की शिक्षा के स्तर में बढ़ोतरी का उल्लेख करते हुए समीक्षा में कहा गया है कि उच्च माध्यमिक विद्यालयों में बालिकाओं के नामांकन की कुल दर 2005 में 24.5 प्रतिशत थी, जो 2022 में बढ़कर 58.2 प्रतिशत हो गई है।
भारत के मजबूत डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचे के बारे में चर्चा करते हुए रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सत्यापन की व्यवस्था में बदलाव से ई-केवाईसी की लागत एक हजार रुपये से घटकर पांच रुपये रह गई है।
यह भी कहा गया है कि भारत विश्व में अमेरिका और ब्रिटेन के बाद तीसरी सबसे बड़ी वित्त प्रौद्योगिकी अर्थव्यवस्था है। समीक्षा में यह भी उल्लेख किया गया है कि घरेलू और वैश्विक निवेशकों की भारतीय शेयर बाजार में खास दिलचस्पी के कारण मार्केट कैप के हिसाब से भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन चुका है।