राज्यसभा में आज संविधान सभा से लेकर 75 वर्षों की संसदीय यात्रा की उपलब्धियों, अनुभवों, यादों और सीख पर चर्चा हुई। संसद के विशेष सत्र के पहले दिन सभापति जगदीप धनखड़ ने इन 75 वर्षो की संसदीय यात्रा का उल्लेख किया। संसदीय लोकतंत्र में जनता की अटूट आस्था और विश्वास को रेखांकित करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के लोकतंत्र की सफलता सभी देशवासियों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है।
संविधान सभा के विचार-विमर्श के दौरान देखी गई मर्यादा और स्वस्थ बहस का स्मरण करते हुए, सभापति ने कहा कि यह चर्चा अत्यधिक विवादास्पद मुद्दों पर भी सर्वसम्मति की भावना के साथ हुई। स्वस्थ बहस को एक समृद्ध लोकतंत्र की पहचान बताते हुए, जगदीप धनखड़ ने सदस्यों को टकराव, व्यवधान और शोर-शराबे के प्रति आगाह किया।
चर्चा की शुरुआत करते हुए केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा, सदन की गरिमा तभी बढ़ेगी जब सभी लोग देशहित और जनहित को सर्वोपरि रखेंगे। उन्होंने संसद द्वारा धारा 370 को हटाने, जीएसटी लागू करने और तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करने जैसे ऐतिहासिक निर्णयों का उल्लेख किया। पीयूष गोयल ने कहा कि संसद के सभी सदस्यों को मिलकर काम करना चाहिए और देश को तेज गति से आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि भारतीय संविधान देश का सबसे बड़ा मार्गदर्शक है क्योंकि इसके संवैधानिक मूल्य बहुत त्याग और कठिनाई के बाद अर्जित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में भारत काफी बदल गया है और इस दौरान लोगों के कल्याण के लिए कई कानून बनाए गए, जिसमें जमींदारी प्रथा और अस्पृश्यता उन्मूलन और अन्य पिछडा वर्ग के लिए आरक्षण के प्रावधान शामिल है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि संविधान ने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया है। उन्होंने रोजगार सृजन को भी महत्व देने पर जोर दिया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जॉन ब्रिटास ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विधायिका के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही संविधान के महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है।
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने बेरोजगारी से उत्पन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रत्येक वैश्विक नेता को पिछले 75 वर्षों में भारत की प्रगति के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ऑब्रायन ने बेरोजगारी, महिलाओं के खिलाफ अपराध, बढती हुई मुद्रास्फीति, किसानों द्वारा आत्महत्या और सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश का मुद्दा उठाया। द्रविड मुन्नेत्र कशगम के तिरूचि शिवा ने कहा कि संसदीय बहस में विपक्ष को कम समय दिया जा रहा है।
भाजपा के भुवनेश्वर कलिता ने कहा कि देश ने आर्थिक क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल, द्रविड मुन्नेत्र कशगम के एम थंबीदुरई, भारत राष्ट्र समिति के केशव राव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जी.के. वासन, असम गण परिषद के बीरेंद्र प्रसाद बैश्य, आम आदमी पार्टी के विक्रमजीत सिंह साहनी, बीजू जनता दल के अमर पटनायक और अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में भाग लिया।