भारतीय रेल ने चक्रवाती तूफान ‘मिचौंग’ से संभावित रूप से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में सुचारु और सुरक्षित रेलवे परिचालन को सुनिश्चित व प्रबंधित करने हेतु अपने पूरे तंत्र को बड़े पैमाने पर तैयार किया है। भारतीय रेल ने, चक्रवात से संबंधित आपदा प्रबंधन की तैयारियों के तहत, चौबीसों घंटे निगरानी रखने और ट्रेनों के परिचालन के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने हेतु मंडल/मुख्यालय स्तर पर प्रत्येक पाली में परिचालन, वाणिज्यिक, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, सिग्नल/दूरसंचार, सुरक्षा आदि शाखाओं के अधिकारियों से लैस एक आपातकालीन नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है। बोर्ड स्तर पर वॉर रूम भी सक्रिय कर दिया गया है और चौबीसों घंटे सभी लोकेशन की निगरानी की जा रही है। आपातकालीन नियंत्रण में सहायता हेतु प्रत्येक पाली में सुरक्षा परामर्शदाताओं को भी नामित किया जाता है। इसके अलावा, सभी फील्ड अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशानुसार उपलब्ध होंगे। आपातकालीन नियंत्रण का प्रबंधन करने वाले अधिकारियों को ट्रेनों के सुचारु परिचालन के लिए फील्ड अधिकारियों और पर्यवेक्षकों के साथ संपर्क में रहने और चक्रवात की गति एवं आईएमडी द्वारा जारी पूर्वानुमानों पर कड़ी नजर रखने तथा उसके अनुसार ट्रेनों के परिचालन की योजना बनाने का निर्देश दिया गया है।
चेन्नई मंडल की स्वास्थ्य इकाई ने भी अपनी आपदा प्रबंधन कार्ययोजना तैयार कर ली है और दो टीमों का गठन किया है। टीम ए, जिसमें डॉक्टर और अन्य ऑन-ड्यूटी कर्मचारी शामिल हैं, संदेश आते ही प्लेटफार्म नंबर 11 पर स्पार्ट में सवार हो जायेगी और आपदा/दुर्घटना स्थल पर प्रभारी अधिकारी को रिपोर्ट करेगी और राहत कार्य शुरू करेगी। टीम बी हताहतों की संख्या की रिपोर्ट करेगी और टीम बी का एक हिस्सा सड़क मार्ग से आगे बढ़ेगा। बाकी लोग सभी संबंधितों को सूचित करने, मेडिकल टीम ए एवं सीएमएस कार्यालय के साथ संचार बनाए रखने, स्थानीय रेलवे अस्पतालों, पेरम्बूर स्थित रेलवे अस्पताल और स्थानीय निजी अस्पतालों को आपातकालीन तैयारी के लिए सूचित करने के लिए वहीं रुकेंगे।
दक्षिणी रेलवे और अन्य संबंधित परिक्षेत्रों (जोन) ने किसी भी आपात स्थिति में जनता के लिए सामान्य निर्देशों और आपातकालीन संपर्क नंबरों की एक सूची भी जारी की है, जिसमें रेलवे अधिकारियों, चिकित्सा टीमों, आपातकालीन वाहनों, सार्वजनिक पूछताछ के लिए वाणिज्यिक नियंत्रण, टावर वैगन चालकों के फोन नंबर के साथ-साथ विभिन्न स्टेशनों पर उपलब्ध डीजी सेट, पंप, सबमर्सिबल सीवेज पंप आदि की सूची शामिल हैं। जल-जमाव वाले स्थानों की भी पहचान की गई है और ऐसे सभी स्थानों पर विभिन्न सुधारात्मक कार्रवाइयां की गईं हैं।
क्र.सं.
सामान्य निर्देश
1
मुख्य ध्यान जनहानि को रोकने और रेलवे की परिसंपत्तियों को होने वाले नुकसान को कम रखने पर होना चाहिए। इसके लिए, यदि आवश्यक हो, तो मुख्यालय के परामर्श से लक्षित खंड पर सभी ट्रेनों, यात्री और माल ढुलाई, का परिचालन निलंबित किया जा सकता है।
2
चक्रवात से पहले/साथ में लगातार बारिश होगी। जिन खंडों पर लगातार बारिश के बावजूद ट्रेनें चलायी जानी हैं, वहां मॉनसून गश्त सुनिश्चित की जानी चाहिए।
3
निम्नलिखित संसाधनों को तैयार रखा जाना चाहिए, पूरी तरह से ईंधन से भरा होना चाहिए और उपकरणों, पुर्जों, सहायक उपकरणों और राशन के पूर्ण पूरक के साथ (जहां भी स्व-चालित नहीं हो वहां लोको प्रदान किए जाने चाहिए): -मॉनसून रिजर्व ट्रेनें, दुर्घटना राहत ट्रेनें, टावर वैगन
4
बहाली कार्य में भाग लेने के लिए ट्रैक, ट्रैक्शन एवं सिग्नल और दूरसंचार के ब्रेकडाउन स्टाफ को पर्याप्त संख्या में तैयार रखा जाएगा।
5
सिग्नलों, स्टेशनों और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों/कार्यालयों को बिजली आपूर्ति के लिए आवश्यक सभी डीजी सेटों को 72 घंटे तक लगातार चलाने के लिए ईंधन भंडार के साथ तैयार रखा जाना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो लंबे समय तक चलने की व्यवस्था भी तैयार रखी जानी चाहिए।
6
आपात स्थिति से निपटने हेतु आवश्यक ट्रेनों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए पर्याप्त संख्या में पूरी तरह से ईंधन वाले डीजल लोको को तैयार रखा जाएगा।
7
चक्रवात का खतरा स्पष्ट होते ही बूम को क्षतिग्रस्त होने से बचाने हेतु चक्रवात संभावित खंडों में सभी एलसी गेटों पर बूम नीचे रख दिए जायेंगे। इसके लिए यह आवश्यक है कि संबंधित जिला कलेक्टरों को सूचित किया जाए ताकि इन एलसी गेटों का उपयोग करने वाले यातायात को उचित रूप से विनियमित/मोड़ा जा सके।
8
क्षति को रोकने के लिए ट्रैक क्षेत्र (गैर रेलवे सहित) के निकट काम करने वाले सभी क्रेनों के जिब को नीचे किया जाना चाहिए।
9
स्टेशनों के आसपास और साथ ही मध्य खंड में पटरियों के आसपास लगे होर्डिंग/बैनर को जहां भी संभव हो हटा दिया जाना चाहिए।
10
निकासी की आवश्यकता का आकलन करने और उचित राहत की व्यवस्था करने के लिए अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा कॉलोनियों पर नजर रखी जाएगी। डीआरएम इस प्रयोजन के लिए अधिकारियों/कर्मचारियों को नामित करेंगे। ऐसे स्थानों पर एक पर्यवेक्षक तैनात किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन स्थानों पर निवासियों की बुनियादी सुविधा सुनिश्चित हो।
11
ट्रेनों को पूर्ण रूप से रद्द किए जाने/आंशिक रूप से रद्द किए जाने/पुनर्निर्धारण/मार्ग परिवर्तन की स्थिति में यात्रियों को समय पर सूचना दी जानी चाहिए।
12
चक्रवात के संभावित आगमन से एक दिन पहले शाम तक यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पुलों पर ओएचई मास्ट/एसएंडटी टावरों/लाइटिंग मास्टों जैसी ऊंची पृथक संरचनाओं में सभी एंकर बोल्ट पूरी तरह से कसे हों। यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त तान तार उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
13
उन स्थानों पर बारीकी से नजर रखी जाएगी जहां पिछले चक्रवातों के दौरान सबसे अधिक क्षति हुई थी।
14
प्रभाव के पूर्वानुमानित क्षेत्र में ऊंची इमारतें क्षति की दृष्टि से संवेदनशील होती हैं और सभी खिड़कियां आदि बंद करने, आसपास के क्षेत्र में होर्डिंग आदि हटाने जैसी कार्रवाइयां चक्रवात के संभावित आगमन से एक दिन पहले शाम तक सुनिश्चित की जा सकती हैं।