भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 6 जून 2024 को सिंगापुर में आयोजित समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे (IPEF) की मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लिया। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य विभाग के सचिव सुनील बर्थवाल ने किया।
14 नवंबर 2023 के आईपीईएफ मंत्रिस्तरीय वक्तव्य में स्वच्छ अर्थव्यवस्था, निष्पक्ष अर्थव्यवस्था और समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे पर व्यापक समझौते के लिए वार्ता के पर्याप्त समापन की घोषणा की गई। इसके अनुसार, आईपीईएफ में शामिल देशों ने इन समझौतों में शामिल बातों और घरेलू अनुमोदन प्रक्रियाओं की कानूनी समीक्षा पूरी की।
आईपीईएफ के सदस्य देशों ने आज इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए जो 21वीं सदी की चुनौतियों का समाधान करने और एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में आर्थिक जुड़ाव को मजबूत करने के लिए अपनी तरह के पहले दृष्टिकोण हैं। भारत ने हस्ताक्षर की कार्यवाही और मंत्रिस्तरीय विचार-विमर्श में सक्रिय रूप से भाग लिया। हालांकि, भारत ने इन समझौतों पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि घरेलू अनुमोदन प्रक्रियाएं अब भी चल रही हैं जो नई सरकार के गठन के बाद पूरी होंगी। ये समझौते कम से कम पांच आईपीईएफ सदस्य देशों द्वारा अनुसमर्थन, स्वीकृति या अनुमोदन के लिए अपनी आंतरिक कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद लागू होंगे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में सचिव सुनील बर्थवाल ने आपूर्ति श्रृंखला समझौते के तहत तीन सहकारी निकायों की स्थापना, स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौते के तहत सहकारी कार्य कार्यक्रम और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था समझौते के तहत सहकारी गतिविधियों पर की गई पर्याप्त प्रगति पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत का लक्ष्य अपनी कुशल श्रमशक्ति, प्राकृतिक संसाधनों और नीतिगत समर्थन के साथ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी बनना है। सरकार समाधान खोजने और विविध तथा पूर्वानुमानित आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी सुनिश्चित करने में सक्रिय पहल कर रही है।
आईपीईएफ स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौता
स्वच्छ अर्थव्यवस्था पर समझौते का उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा और संक्रमण, जलवायु लचीलापन और अनुकूलन, जीएचजी उत्सर्जन शमन की दिशा में आईपीईएफ के सदस्य देशों के प्रयासों में तेजी लाना; जीवाश्म ईंधन ऊर्जा पर निर्भरता कम करने के नए तरीके खोजना/विकसित करना; तकनीकी सहयोग, कार्यबल विकास, क्षमता निर्माण और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना; और स्वच्छ ऊर्जा तथा जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास, पहुंच और तैनाती को सुविधाजनक बनाने के लिए सहयोग करना है। यह समझौता निवेश, रियायती वित्तपोषण, संयुक्त सहयोगी परियोजनाओं, कार्यबल विकास और उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई के लिए तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण की सुविधा प्रदान करेगा, ताकि भारतीय कंपनियों को मूल्य श्रृंखलाओं, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में और अधिक एकीकृत किया जा सके। ये सहकारी गतिविधियां सहकारी कार्य कार्यक्रमों और आईपीईएफ उत्प्रेरक पूंजी कोष जैसे संयुक्त सहयोगी कार्यों के माध्यम से की जाएंगी।
सहकारी कार्य कार्यक्रम (सीडब्ल्यूपी)
आईपीईएफ सदस्य देशों ने सहकारी कार्य कार्यक्रम यानी सीडब्ल्यूपी तंत्र के माध्यम से जलवायु समाधानों की एक श्रृंखला पर इच्छुक भागीदारों के विभिन्न समूहों के बीच दीर्घकालिक सहयोग बनाने और उसे बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासों का स्वागत किया, जो आईपीईएफ स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौते के व्यापक लक्ष्यों को आगे बढ़ाएगा। हाइड्रोजन आपूर्ति श्रृंखलाओं (मई 2023 में) और कार्बन बाजारों, स्वच्छ बिजली, टिकाऊ विमानन ईंधन और न्यायसंगत संक्रमण (मार्च 2024 में) पर सीडब्ल्यूपी की घोषणा के बाद से, इस मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने वाले आईपीईएफ के सदस्य देशों ने सहयोग के लिए विस्तृत रोडमैप विकसित किए हैं और चर्चा के दौरान कई सीडब्ल्यूपी पर महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला है। सुनील बर्थवाल ने अपने संबोधन में स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौते के तहत सीडब्ल्यूपी का स्वागत किया “जिसे ऊर्जा संक्रमण के उद्देश्यों को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक अधिक टिकाऊ और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र बनाने में मदद करेगा।”
आईपीईएफ समूह ने आज “ई-वेस्ट अर्बन माइनिंग” पर भारत के नेतृत्व में एक नए सीडब्ल्यूपी की घोषणा की। यह सीडब्ल्यूपी आईपीईएफ सदस्य देशों के लिए अधिक टिकाऊ ई-कचरा प्रबंधन प्रणाली की सुविधा प्रदान करेगा। इसमें वर्तमान और उभरती प्रौद्योगिकियों, तकनीकों और गतिविधियों पर सूचनाओं के आदान-प्रदान के साथ ही सामग्रियों, विशेष रूप से महत्वपूर्ण धातुओं और खनिजों की कुशलता से इकट्ठा करना और इनके पुनर्चक्रण के लिए समाधानों का विकास शामिल है।
सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि सीडब्ल्यूपी में भारत का सर्कुलर अर्थव्यवस्था में बदलाव पर ध्यान केंद्रित करना स्पष्ट है, जिसमें संसाधन दक्षता और प्रदूषण रोकथाम पर जोर देते हुए ई-कचरा प्रबंधन पर ध्यान दिया गया है।” वाणिज्य सचिव ने भारत के प्रस्तावित सीडब्ल्यूपी को समर्थन देने के लिए आईपीईएफ के सदस्य देशों को धन्यवाद दिया और अन्य सीडब्ल्यूपी पर आईपीईएफ सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने की भारत की मंशा से अवगत कराया, ताकि न केवल विकासात्मक उद्देश्यों के लिए बल्कि समाज में उनके योगदान के लिए भी ऐसे सीडब्ल्यूपी से अपार लाभ प्राप्त किया जा सके।
आईपीईएफ कैटेलिटिक कैपिटल फंड
आईपीईएफ सदस्य देशों ने आईपीईएफ उत्प्रेरक पूंजी कोष के परिचालन आरंभ की सराहना की, जो आईपीईएफ स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौते के तहत आईपीईएफ की उभरती और उच्च-मध्यम आय अर्थव्यवस्थाओं में गुणवत्तापूर्ण स्वच्छ अर्थव्यवस्था अवसंरचना परियोजनाओं की पाइपलाइन के विस्तार का समर्थन करता है। इस फंड के संस्थापक समर्थकों यानी ऑस्ट्रेलिया, जापान, कोरिया और अमेरिका ने निजी निवेश में 3.3 अरब अमेरिकी डॉलर तक के उत्प्रेरित करने के लिए 3 करोड़ 30 लाख अमेरिकी डॉलर की प्रारंभिक अनुदान निधि प्रदान करने के लिए अपनी-अपनी घरेलू प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इस फंड का प्रबंधन निजी अवसंरचना विकास समूह (पीआईडीजी) करता है। इसने आईपीईएफ सदस्य देशों को पाइपलाइन में कई प्रारंभिक परियोजनाओं के बारे में अद्यतन जानकारी प्रदान की, और निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए रियायती वित्तपोषण, तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण को लागू करने के अतिरिक्त अवसरों पर चर्चा की।
निवेशक मंच
इन्वेस्ट इंडिया के नेतृत्व में एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल ने भी इस फोरम में भाग लिया।
ब्लैकरॉक, केकेआर एंड कंपनी, जेपी मॉर्गन आदि जैसे शीर्ष वैश्विक निवेशकों की उपस्थिति में 30 से अधिक भारतीय कंपनियां अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के अवसर प्रस्तुत करेंगी।
सतत अवसंरचना ट्रैक के तहत, 4 भारतीय परियोजनाओं ने वैश्विक निवेशक समुदाय के समक्ष अपनी अवधारणाएं प्रस्तुत कीं। इसी तरह, 10 भारतीय क्लाइमेटटेक स्टार्टअप ने भी फोरम में दुनिया भर के इच्छुक निवेशक समुदाय के समक्ष अपना व्यावसायिक मामला प्रस्तुत किया। इस निवेशक फोरम ने परियोजना समर्थकों और स्टार्टअप समुदाय को 100 से अधिक शीर्ष वैश्विक निवेशकों के साथ बातचीत और उनसे जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया।
उद्यम पूंजी कोष, निजी इक्विटी फर्मों और रणनीतिक निवेशकों सहित 6 भारतीय निवेशकों ने वैश्विक निवेशकों के साथ-साथ बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ निवेश के अवसरों और संभावित सहयोग का पता लगाने के लिए इस फोरम में भाग लिया।
आईपीईएफ निष्पक्ष अर्थव्यवस्था समझौता
निष्पक्ष अर्थव्यवस्था पर समझौते का उद्देश्य एक अधिक पारदर्शी और पूर्वानुमानित कारोबारी माहौल तैयार करना है, जो सदस्य देशों के बाजारों में अधिक व्यापार और निवेश को बढ़ावा दे सके। इसके साथ ही, इसका उद्देश्य आईपीईएफ सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसायों और श्रमिकों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना; भ्रष्टाचार विरोधी ढांचे को मजबूत करके, गोपनीय प्रणालियों की स्थापना करके और सार्वजनिक क्षेत्र से बाहर के समूहों की भागीदारी को बढ़ावा देकर भ्रष्टाचार को रोकने और उसका मुकाबला करने के प्रयासों को बढ़ाना; सक्षम प्राधिकारियों, घरेलू संसाधन जुटाने और कर प्रशासन के बीच कर उद्देश्यों के लिए कर पारदर्शिता और सूचना के आदान-प्रदान में सुधार के प्रयासों का समर्थन करना; और विशेषज्ञता तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, तकनीकी नवाचारों के विकास और अनुप्रयोग, और निजी क्षेत्र और अन्य हितधारकों के साथ आवश्यकता-आधारित सहयोग के माध्यम से आईपीईएफ के सदस्य देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करना और क्षमता निर्माण का समर्थन करना है।
सचिव सुनील बर्थवाल ने अपने संबोधन के दौरान, निष्पक्ष अर्थव्यवस्था समझौते के लिए तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण में योगदान पर आईपीईएफ के विशेष ध्यान का स्वागत किया, तथा स्तंभ IV तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण सूची के तहत डिजिटल फोरेंसिक और सिस्टम-संचालित जोखिम विश्लेषण में प्रशिक्षण कार्यक्रम पर प्रकाश डाला, जिसे भारत अन्य आईपीईएफ सदस्य देशों को प्रदान करेगा।
आईपीईएफ अपस्किलिंग पहल
आईपीईएफ सदस्य देशों ने आईपीईएफ अपस्किलिंग पहल पर पर्याप्त प्रगति का स्वागत किया। इस पहल को सितंबर 2022 में आईपीईएफ के उभरते और मध्यम आय वाले भागीदार देशों में मुख्य रूप से महिलाओं और लड़कियों को डिजिटल कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके सतत और समावेशी आर्थिक वृद्धि और विकास का समर्थन करने के लिए लॉन्च किया गया था। इस पहल के तहत, 14 भाग लेने वाली अमेरिकी कंपनियों और एशिया फाउंडेशन ने पिछले 2 वर्षों में आईपीईएफ के सदस्य देशों में मुख्य रूप से महिलाओं और लड़कियों के लिए 10.9 मिलियन अपस्किलिंग अवसर प्रदान किए, जिनमें से भारत को 4 मिलियन अवसर मिले।
अगला कदम
इस मंत्रिस्तरीय बैठक में तीन आपूर्ति श्रृंखला संस्थागत समितियों की पहली बैठक जुलाई 2024 में वर्चुअल रूप से और 2024 के आखिर में वाशिंगटन डीसी में व्यक्तिगत मौजूदगी के रूप में आयोजित करने को प्रोत्साहित करने का भी निर्णय लिया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि अगली मंत्रिस्तरीय बैठक सितंबर 2024 में वर्चुअल रूप से आयोजित की जाएगी और 2025 में आईपीईएफ परिषद और संयुक्त आयोग की पहली बैठक आयोजित करने की दिशा में काम किया जाएगा।
आईपीईएफ के बारे में
आईपीईएफ की शुरुआत 23 मई 2022 को जापान की राजधानी टोक्यो में की गई थी। इसमें 14 देश ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका शामिल हैं। आईपीईएफ का उद्देश्य क्षेत्र में विकास, आर्थिक स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ सदस्य देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव और सहयोग को मजबूत करना है।
आईपीईएफ का यह ढांचा व्यापार (स्तंभ I); आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन (स्तंभ II); स्वच्छ अर्थव्यवस्था (स्तंभ III); और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (स्तंभ IV) से संबंधित चार स्तंभों से बना है। भारत आईपीईएफ के स्तंभ II से IV में शामिल है, जबकि स्तंभ-I में इसने पर्यवेक्षक का अपना दर्जा बनाए रखा है।