प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए दृढसंकल्प है। उन्होंने कहा कि वैश्विक कोविड-19 महामारी ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने की गति धीमी की है लेकिन हमारा निश्चय विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर और मजबूत बनने का है।
आज वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की बैठक की वर्चुअल माध्यम से अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि देश कृषि से लेकर अंतरिक्ष विज्ञान, आपदा प्रबंधन से लेकर रक्षा तकनीक और वैक्सीन से लेकर वर्चुअल रियलिटी तक आत्मनिर्भर बनने के लिए कृतसंकल्प है।
उन्होंने कहा कि महामारी ने देश के सामने सबसे बडी चुनौती रखी है लेकिन विज्ञान ने बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संकट की घडी में संभावनाएं और समाधान प्रस्तुत करना विज्ञान का आधारभूत दृष्टिकोण है।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने कोविड जांच किट, दवाइओं और ऑक्सीजन के उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश वैज्ञानिकों के प्रयासों की मदद से कोविड-19 की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर रहा है।
एक वर्ष के अंदर देश में कोविड वैक्सीन तैयार करने में भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस गति और पैमाने पर यह कार्य किया गया वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि इतनी अल्प अवधि में वैक्सीन विकसित करना शायद इतिहास में पहली घटना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक दूसरे वैज्ञानिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं और उतनी ही गति से काम कर रहे है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सतत विकास, स्वच्छ ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत साफ्टवेयर से लेकर सेटेलाइट तक के विकास में दूसरे देशों की मदद करके विश्व के विकास में इंजन की भूमिका निभा रहा है।
विभिन्न तकनीकों के विकास में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी तभी ऊंचाई हासिल करती है जब वह उद्योग और बाजार के साथ बेहतर तालमेल बनाती है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर विज्ञान, समाज और उद्योग के साथ तालमेल बनाये रखने के लिए प्रयासरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीएसआईआर के पास अनुसंधान और पेटेंट का सुदृढ तंत्र है। उन्होंने कहा कि देश का लक्ष्य और उसके सपने 21वीं सदी की बुनियाद पर आधारित हैं। इसलिए सीएसआईआर का लक्ष्य भी असाधारण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सीएसआईआर को उद्योग के साथ साथ समाज को लेकर भी चलना है। उन्होंने सुझाव दिया कि सीएसआईआर के कामों की जानकारी जनता को होनी चाहिए जिससे लोगों में विज्ञान के प्रति रूझान बढे।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक शांति स्वरूप भटनागर की भूमिका को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भविष्य को वैज्ञानिकों से बहुत अधिक आशाएं हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयारी जरूरी है ताकि आने वाले विपदाओं का समाधान ढूंढा जा सके। जलवायु परिवर्तन की चुनौती का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिकों को ऐसी ही चुनौतियों के लिए तैयार रहना है।
केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगकी मंत्री हर्षवर्धन, वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन और रेलमंत्री पीयूष गोयल भी इस अवसर पर मौजूद थे। प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के0 विजय राघवन, सीएसआईआर के महानिदेशक शेखर मांडे, अनेक विख्यात वैज्ञानिक और उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी इस मौके पर उपस्थित थे।
सीएसआईआर सोसायटी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अन्तर्गत विज्ञान तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग का हिस्सा है। यह देशभर में 37 प्रयोगशालाओं और 39 केन्द्रों में अपनी गतिविधियां चलाता है।