बीसवें आसियान शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत और आसियान साझेदारी अपने चार दशक पूरे कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करना उनके लिए सम्मान की बात है। प्रधानमंत्री ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको-विदोदो को सम्मेलन की मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का केन्द्रीय स्तम्भ है और इसका भारत की हिंद-प्रशांत नीति में महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने ग्लोबल साउथ की आवाज को बढ़ाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष भारत-आसियान मित्रता दिवस मनाया गया था और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण साझेदारी को एक नयी शुरुआत दी गई थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास और भौगोलिक स्थिति भारत तथा आसियान को आपस में जोड़ती है। उन्होंने कहा कि भारत और आसियान सांस्कृतिक मूल्यों तथा क्षेत्रीय अखंडता को साझा करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम शांति और सद्भाव में विश्वास करते हैं तथा बहुध्रुवीय दुनिया में साझा भरोसा भी भारत और आसियान को एकजुट करता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के माहौल के बावजूद भारत-आसियान के आपसी सहयोग में लगातार प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर जकार्ता में दिली के तिमोर-लेस्ते में भारतीय दूतावास खोलने की घोषणा की।
प्रधानमंत्री ने आज ही पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में भी भाग लिया। यह सम्मेलन हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में आसियान केन्द्रित तंत्र का एक मुख्य सम्मेलन है। 2005 में इसकी शुरुआत होने के बाद से इस सम्मेलन ने क्षेत्र के लिए रणनीतिक महत्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए मंच उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री और अन्य नेता संगठन को और सशक्त करने के उपायों पर चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी और अन्य नेता क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।