प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना अखबारों की बड़ी खबर है। जनसत्ता की सुर्खी है – तीस लाख परिवारों को लाभ, एक लाख रूपए का ऋण पांच प्रतिशत ब्याज दर पर। मंत्रिमंडल के अन्य फैसलों पर पत्र लिखता है – एक सौ शहरों को मिलेंगी दस हजार ई-बसें। भारतीय रेल की 32 हजार पांच करोड रूपए की सात परियोजनाएं मंजूर। हिन्दुस्तान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों को सुर्खी दी है – प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों का सम्मान। इससे गुरू-शिष्य परंपरा से विश्वकर्मा के प्रयासों को आगे बढायेगी सरकार और उन्हें आधुनिक मूल्य श्रृंखलाओं से जोड़ेगी। दैनिक जागरण का कहना है – डिजिटल इंडिया के विस्तार को 14 हजार 903 करोड रूपए की मंजूरी। सभी प्रकार के अनुवाद में सक्षम टूल की होगी शुरूआत।
विधि शब्दावली से कुछ आपत्तिजनक शब्दों को हटाने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश को नवभारत टाइम्स ने महत्व दिया है। पत्र लिखता है -सुप्रीम कोर्ट ने वैकल्पिक शब्दों के लिए हैंड बुक जारी की।
उत्तर प्रदेश में मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि के निकट अवैध निर्माण को ढहाने के रेलवे के अभियान पर जनसत्ता का कहना है – उच्चतम न्यायालय ने दस दिन के लिए ध्वस्तिकरण अभियान रोका।
हिमाचल और उत्तराखंड में भंयकर वर्षा पर दैनिक भास्कर की टिप्पणी है मॉनसूनी ब्रेक के कारण जमा हुए बादलों ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मचाई तबाही। देश में 11 दिन से थमा है मॉनसून, सिर्फ दो राज्यों में बरस रहा है। हिमाचल में दो महीने से लगातार बारिश से सेब उत्पादकों हो सकता है भारी नुकसान।
दैनिक जागरण का शीर्षक है- खदानों के पास ही लगाए बिजली संयंत्र। कोल इंडिया की सहायक कंपनियों को निर्देश, उत्पादन लागत में आएगी कमी। अतिरिक्त कोयला उत्पादन का बेहतर इस्तेमाल कर सकेंगी कंपनियां। खदान के पास संयंत्र लगाने से ढाई रूपए प्रति यूनिट की लागत आने का अनुमान।
हिन्दुस्तान का कहना है – गुणवत्ता के मानक बिना नहीं बिक सकेंगे बिजली के पंखे। सरकार ने सीलिंग फैन के लिए अनिवार्य गुणवत्ता मानदंड जारी किए। प्रावधान का पहली बार उल्लंघन करने पर दो साल तक की जेल या कम से कम दो लाख रूपए जुर्माने का प्रावधान।
छत्तीसगढ के महासमुंद जिले के एलमागुंडा गांव में बिजली आने पर राजस्थान पत्रिका का शीर्षक है – आजादी के 76 साल बाद नक्सल प्रभावित गांव में बिजली पहुंची तो खुशी से छलक पडे आंसू। सुरक्षाबलों का कैंप होने के बाद बुनियादी सुविधाओं पर जोर।